जानिए, आपके लिए क्या हैं शुभ और अशुभ!

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 12 जनवरी 2017, 3:00 PM (IST)

इस आधुनिक युग में जहां हर कोई अपनेघर का निमार्ण और गृह- सज्जा आधुनिक तौर पर करता है वहीं उसके उलट इस बात का भी ध्यान रखता है कि वह परिवार के बडे-बुजगों द्वारा घर का निमार्ण और गृह- सज्जा के लिए कही गई बातों का भी परिपालन करें। क्योंकि वह हमेशा से इन बातों को अपनी दादी-नानी या किसी अन्य बुजर्ग से सुनते आ रहे होते हैं कि घर का किचन उस दिशा या मंदिर इस दिशा में होगा तो शुभ होगा।

लेकिन उन्हें इस बात का इल्म हनीं होता था, कि इन शुभ और अशुभ बातों के पीछे आखिर क्या कारण हैं। लेकिन आज के वक्त में लोग इन बातों का अनुसरण कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें ऎसा करने के पीछे कारण भी पता है और यह सारी बातें वास्तु के अंतर्गत आती हैं।

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पहले के समय में घरों में लोग जो भी छोटा-मोटा फर्नीचर रखते थे। वो कमरे की दीवारों से सटाकर नहीं रखते थे क्योंकि इससे कमरे की साफ-सफाइ्र में आसानी नहीं होती थी। वहीं वास्तु के अनुसार घर के हर कमरे में फर्नीचर को दीवारों के साथ सटाकर इसलिए नहीं रखते हैं एक तो ऎसा करने से फर्नीचर की खूबसूरती कम हो जाती है। दीवार से सटा हुआ रहने के चलते उनके कोनो में गंदगी जमा होती जाती है। जिस वजह से नाकारत्मक ऊर्जा का वास होने लगता है।

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पहले के लोग जब भी बाहर से घर के अन्दर आते थे तो चप्पल और जूते बाहर उतार दिया करते थे। वो ऎसा इसलिए करते थे क्योंकि इससे बाहर से आई कोई गन्दगी घर के अन्दर नहीं आ पाती थी। आज के समय में वास्तु के अनुसार चप्पल-जूते घर के बाहर रखने पर घर में गन्दगी से कीटाणु नहीं पनपते हैं और किसी प्रकार की बीमारी होने का खतरा भी नहीं होता है।

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पहले के समय में अधिकतर घरों में रसोईघर दक्षिण-पूर्व दिशा में हुआ करती थी। पहले के लोग इस कोने में रसोईघर इसलिए बनाया करते थे क्योंकि पहले घरों में बिजली नहीं हुआ करती थी। सूरज की रोशनी की प्रकाश का सबसे सुलभ माध्यम होता था। इस दिशा में धूप सुबह और शाम दोनों समय बनी रहती थी। सुबह ग्यारह-बारह बजे तक घर की औरतें दोपहर का खाना बना लेती थी।

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पूर्ण रूप से प्रकाश होने के चलते कोई-कीडा मकोडा या कोई गन्दगी खने में गिरने का डर नहीं होता था, इसी प्रकार शाम को भी छह-सात बजे तक पूर्ण रूप से प्रकाश रसोईघर में हमेशा बना रहता था। वहीं आजकल वास्तु के अनुसार दक्षिण-पूर्व कोने जिसे अगि्कोण कहते हैं। इस दिशा में रसोई बनवाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि यह अगि्न एनर्जी का प्रतीक होती है। रसोई में आग पर खाना पकाया जाता है।

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