भाखडा बांध के मछली कारोबार पर भी सर्दी का असर

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 11 जनवरी 2017, 11:29 PM (IST)

नंगल। उत्तर भारत में लगातार बढ़ रही ठंड का असर भाखड़ा बांध से पकड़े जाने वाली मछली के कारोबार पर भी सीधा असर हो रहा है। यहां से हर साल हजारों टन मछली का कारोबार किया जाता है। पंजाब ही नही बल्कि उत्तर भारत में मछली की सप्लाई भी भाखड़ा बांध से की जाती है। इस बार ओसत से ज्यादा सर्दी पडऩे के कारण मछली खाने के शौकीनो को निराश होना पड़ सकता है। ओसत से ज्यादा सर्दी होने के कारण मछली भाखडा ड़ैम के गहरे पानी में चली गई है जिसके कारण मछली को आसानी से पकडा नही जा सकता है। गहरे पानी तक मछली पकडऩे वालो के जाल नही पहुंच सकते जिससे कारण मछली उनके जाल में नही फंसती। आमद कम होने के कारण मछली के रेट भी बाजार में बढ़ गए है। बर्ड फ्लू की आशंका से मछली के कारोबार में तेजी आई थी। जिसके कारण पिछले दिनो में भाखडा ड़ैम से मछली की लागत लगभग 40 प्रतिशत बढ़ गई थी व शहर में कई जगहों पर अस्थायी तौर पर मछलियों की बिक्री भी होने लगी थी। मछलियों के कारोबार में तेजी से बढोतरी होने लगी थी। नए साल की शुरुआत में मछली विक्रेताओ को अंड़ो व मुर्गो की अपेक्षा मछलियों की ज्यादा खपत की उमीद थी लेकिन लगातार गिरते हुए तापमान व शीत लहरो के कारण इलाके में ठंड बढ़ जाने से मछली के कारोबार पर भी सीधा असर हुआ है। इस कमी के चलते शहर में अब लोकल तलाबों की मछली की बिक्री शुरू हो गई है जो की भाखड़ा बांध की मछली से सस्ती होने के बावजूद भी लोगों को पसंद नही आ रही है। ग्राहको की माने तो भाखड़ा की मछली कुदरती मछली होने के कारण इसमें पौष्टिक तत्व ज्यादा होते है। साथ ही स्वाद भी बेहतर होता है। भाखड़ा की मछली की खाने बाली खुराक भी कुदरती होती है जबकि तालाब की मछली को खाना वे ज्यादा पसंद नही करते।
भाखड़ा के थोक मछली विक्रेता भवनदीप ने बताया कि सर्दी में मछली की मांग ज्यादा होती है लेकिन सर्दी ज्यादा होने के कारण मछली ज्यादा गहरे पानी में चली जाने से पकड़ में कम आती है जिसके कारण उसकी आमद कम हो जाती है। उन्होंने ने बताया कि गर्मीयों में वे 25 किवंटल मछली बेचते है लेकिन सर्दीयों में मछली की कमी होने के कारण तीन किवंटल तक ही मछली की आमद हो रही है। मछली की कम आमद होने के कारण मछली महंगी भी हो सकती है।

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