ज्वाला ने इसके लिए कहा, 100 के सामने 1 के बराबर

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 11 जनवरी 2017, 12:20 PM (IST)

नई दिल्ली। भारत की महिला युगल खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने मंगलवार को कहा कि देश में युगल खिलाडिय़ों को पर्याप्त समर्थन हासिल नहीं है और इसी कारण उनके प्रदर्शन में निरंतरता की कमी देखने को मिलती है। ज्वाला ने कहा कि युगल खिलाडिय़ों को प्रायोजक से लेकर न्यूट्रीशन तक की सुविधा एकल मुकाबले खेलने वाले खिलाडिय़ों की अपेक्षा बेहद कम स्तर पर प्राप्त है।

देश के युगल खिलाडिय़ों के पिछले साल के खराब प्रदर्शन को लेकर पूछे सवाल पर ज्वाला ने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि हम हमेशा से युगल मुकाबलों में खिलाडिय़ों के हारने पर उनकी आलोचना करते हैं लेकिन जब एकल मुकाबले में खिलाड़ी मैच हारते हैं तो कहा जाता है कि यह कड़ा मुकाबला था। यह मैंने महसूस किया है। प्रीमियर बैडमिंटन लीग (पीबीएल) के दिल्ली चरण में ज्वाला की टीम दिल्ली ऐसर्स का सामना रियो ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता कैरोलिना मारिन की टीम हैदराबाद हंटर्स से गुरुवार को होना है।

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इस अहम मैच से पहले ज्वाला ने कहा कि एकल खिलाडिय़ों के प्रदर्शन में जो निरंतरता है और उन्हें जिस स्तर का समर्थन मिल रहा है, वह युगल खिलाडिय़ों को मिलने वाले समर्थन से कई गुना ज्यादा है। अगर आप इसकी तुलना करना चाहते हैं तो यह 100 के सामने 1 के बराबर है। हमें मुश्किल से समर्थन मिलता है। थोड़ा बहुत समर्थन और सहयोग हमें सरकार से जरूर मिलता है, लेकिन अगर हमें उच्च स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करना है तो यह काफी नहीं है।

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ज्वाला ने कहा, हां एकल मुकाबलों में खिलाड़ी निरंतर अच्छा प्रदर्शन करे रहे हैं, लेकिन उन्हें निरंतर समर्थन भी मिल रहा है। जो कि सच है। आपको देखना होगा और विश्लेषण करना होगा कि क्यों युगल खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। आज तक युगल खिलाडिय़ों को शून्य के बराबर समर्थन हासिल है। ज्वाला ने कहा कि आज भी प्रायोजक, स्वास्थ्य सुविधाएं, न्यूट्रीशन जैसी सुविधाएं युगल खिलाड़ी के लिए नहीं है। यह एक कारण है कि भारत में युगल खिलाडिय़ों के प्रदर्शन में निरंतरता नहीं है।

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ज्वाला ने साथ ही माना की इसी कारण देश में युगल खिलाडिय़ों में कोई बड़ा नाम नहीं है जो कमी पूरी कर सके। ज्वाला ने कहा कि देश में खिलाडिय़ों को तैयार करने की कोई संस्कृति नहीं है। ज्वाला ने कहा कि भारत में युगल खेलने के लिए आपको बहुत हिम्मत की जरुरत होगी। ज्वाला ने कहा, मैं यही सवाल करना चाहती हूं, हो सकता है कि मेरे करिअर का अंतिम पड़ाव हो, लेकिन हमारे पास कितने उभरते युगल खिलाड़ी हैं। भारत में युगल मुकाबले खेलने के लिए आपको हिम्मती होना पड़ेगा। मैंने लंदन ओलम्पिक-2012 में मिश्रित युगल खेलना बंद कर दिया था।

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इसके बाद रियो ओलम्पिक में क्वालीफाई करने लिए मिश्रित जोड़ी होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसी ने कोशिश नहीं की। हमारे पास दूसरी बैंच नहीं है। ज्वाला ने पीबीएल में 11 अंक की प्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं और कहा कि उन्हें इस प्रारुप में खेलने में परेशानी होती है। ज्वाला ने कहा, यह 11 अंक प्रणाली है जो हमारे लिए नई है। यह काफी छोटा प्रारूप है इसमें कुछ भी हो सकता है। मैं इसके लिए तैयार नहीं हूं। विचार अलग हो सकते हैं, लेकिन मैं बैडमिंटन के स्तर को नीचे जाते नहीं देख सकती। मैं निश्चित हूं कि इससे खेल का स्तर नीचे गिरेगा।

(IANS)

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