मुस्लिमों में मोदी के प्रति बढ़ा रुझान, लेकिन राह नहीं है आसान

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 10 जनवरी 2017, 3:27 PM (IST)

वाराणसी। पीएम नरेन्द्र मोदी और मुसलमान यानि नदी के दो किनारे, ये स्थिति नरेन्द्र मोदी के 2014 में भाजपा द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद बनी थी पर जैसे-जैसे चुनाव परवान चढ़ता गया। मोदी के भाषण, विचार और भाजपा के नारे `सबका साथ-सबका विकास` और `अच्छे दिन आने वाले हैं` ने बहुत हद तक तस्वीर बदल दी। युवा और प्रगतिशील मुसलमानों ने मोदी की बातों को सुनना शुरू किया, परिणामस्वरूप कई मुस्लिम बाहुल्य सीटें भी भाजपा के खाते में आ गईं। मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में काम करते हुए ढाई वर्षों से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है, इस बीच मोदी सरकार ने बहुआयामी क्षेत्रों में सरकार की नीतियों और नीयत को दर्शाने का काम किया।

विदेश नीति, सर्जिकल स्ट्राईक, नोटबन्दी, तीन तलाक आदि मुद्दे पर वाराणसी के मौलाना आजाद बुनकर और अस्पताल के सचिव जलीस अहमद अन्सारी का कहना है कि अब जब मोदी सरकार में हैं तब अक्लियत के लोग कम से कम उनकी बात तो जरूर सुनने लगे हैं, पहले गोधरा काण्ड के बाद तो मुसलमान मोदी की बात भी नहीं करना चाहता था, हां तीन तलाक के मसले पर मुस्लिम महिलाओं में जरूर मोदी के प्रति उत्सुकता बढ़ी है।

इण्डियन डाईंग के अधिष्ठाता मो. शोएब ने कहा कि अभी तक मुसलमानों में मोदी विश्वास नहीं पैदा कर सके हैं जो एक प्रकार से सरकार की असफलता ही दर्शाती है। बुनकर अमीनुद्दीन का कहना है कि मोदी तो प्रधानमंत्री के रूप में ठीक काम कर रहे हैं पर चुनाव आते ही उनके पार्टी में मन्दिर, धारा 370, कॉमन सिविल कोड आदि की बात करके मुसलमानों में खौफ पैदा कर रहे हैं ऐसे में मुस्लिम मतदाता भाजपा को वोट देंगे ये कहना मुश्किल है।


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इस प्रकार कई मुस्लिम परिवारों से बात करने पर यह करीब-करीब स्पष्ट नजर आया कि कम प्रतिशत में ही सही पर कुछ युवा और महिलाओं का मत जरूर बीजेपी को हासिल हो सकता है पर अधिकांश मुस्लिम भाजपा में अभी भी अपना नेता तलाश रहे हैं, पर जमीनी हकीकत तो यह है कि पसन्द आने के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी भी पसंद को वोट में नहीं बदल सके। 

अतः दूसरे शब्दों में यदि यह कहा जाए कि नरेन्द्र मोदी यदि एक परीक्षार्थी हैं और उन्हें परीक्षा में टॉप करना है तो बीस नम्बर के प्रश्न को छोड़ कर टॉप नहीं कर किया जा सकता। उन्हें सौ प्रतिशत के लिए सभी प्रश्नों का सामना करना ही होगा। 
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