सीएसआईआर के तकनीकी अधिकारी की नियुक्ति व डिग्री पर उठे सवाल ?

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 10 जनवरी 2017, 12:34 PM (IST)

फैजाबाद। हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार शुक्ला ने सीएसआईआर में तैनात वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ. संजय द्विवेदी की नियुक्ति व उनकी डिग्री की जांच सीबीआई से करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की है। एक मुलाकात में वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार शुक्ला ने राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में तैनात वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ. संजय द्विवेदी की डिग्री और नियुक्ति को फर्जी बताया है, उन्होंने कहा है कि संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. सीएस नौटियाल ने फर्जी तरीके से विज्ञापन प्रकाशित करा कर सारे नियम कानून तोड़कर संजय द्विवेदी की नियुक्ति कर डाली। जांचोंपरांत उनकी डिग्री ही फर्जी निकली जिसकी वे अब उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। उन्होने बताया कि जांच मे कोताही बरते जाने पर वो इस मामले को हाईकोर्ट में ले जायेंगे। उनका कहना है कि वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ. संजय द्विवेदी की नियुक्ति वेतनमान 15600-39100-ग्रेड पे-6600/- के पद पर ‘‘फर्जी डिग्री व प्रमाण पत्र’’ के आधार पर की गई है।
शुक्ला ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी के पद पर डॉ. संजय द्विवेदी को समायोजित करने के लिये आवश्यक शैक्षिक योग्यता ‘‘दो वर्ष डिप्लोमा इन इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ (आईपीएल)’’ का विज्ञापन जारी कर दिया गया, जिससे कम से कम अभ्यर्थी आवेदन कर सकें। उक्त विज्ञापन के आधार पर डॉ. संजय द्विवेदी ने एक फर्जी संस्थान ‘‘कानपुर विद्यापीठ उत्तर प्रदेश’’ के नाम से निर्गत हुआ एक ‘‘फर्जी द्विवर्षीय सर्टिफिकेट’’ बनवाकर आवेदन पत्र के साथ संलग्नित कर आवेदकों की कतार में खड़े हो गये।


इसी फर्जी सर्टिफिकेट को मानक व आधार मानकर तत्कालीन भर्ती एंव मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष डॉ. डी.के. उप्रेती व तत्कालीन निदेशक डॉ. नौटियाल ने डॉ. संजय द्विवेदी का नाम भी चयन के लिये चुने गये अभ्यर्थियों की श्रेणी में डलवा दिया। यही नहीं डॉ. संजय द्विवेदी के ‘‘फर्जी सर्टिफिकेट’’ को वैध ठहराने के लिये उनके सहकर्मी डॉ. आर.डी. त्रिपाठी ने इस ‘‘फर्जी सर्टिफिकेट’’ को सत्यापित भी कर दिया। इतना ही नहीं 2013 से लगातार फर्जी नियुक्ति के सहारे लाखों रूपये वेतन आहर्रित कर लिया गया। उन्होंने कई उच्च अधिकारियों से इसकी शिकायत की परन्तु अभी तक कोई कार्यवाही न होने से नाराज होकर वो अब जल्द ही उच्च न्यायालय में इस मामले को ले जाने की तैयारी में हैं।

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