जींद। हम
लिखते हैं दोनों हाथ से दायां हो या बायां। जीन्द की 7 लड़कियों ने जाने माने
सांइटिस्ट अलबर्ट आइंस्टीन से प्रेरित होकर इस हुनर में माहिर हुई एक ही
क्लास में पढ़ने वाली ये लड़कियां। इन लड़कियों का हुनर आसपास के क्षेत्र में
चर्चा का विषय बना हुआ है। हम आपको बता दे सांइटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टिन दोनों
हाथों से लिखते थे। जीन्द
का गांव उझाना में करीबन 6 महीने पहले की बात है। यहां के स्वामी विवेकानंद
पब्लिक स्कूल की नौंवी कक्षा में सांइस की क्लास चल रही थी। मुख्य अध्यापक
कुलदीप सिंह बच्चों को सांइस का विषय पढ़ा रहे थे। इस दौरान रिलेटीवीटी के
सिद्वांत टापिक पर साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टिन का जिक्र आया। मुख्य अध्यापक
कुलदीप सिंह ने बताया कि आइंस्टिन दोनों हाथों से लिखते थे। ऐसा उन्होंने
रोजाना की प्रेक्टिस से हासिल किया था। बस इतना ही कहना था कि इस क्लास की
कुछ सहेलियों ने मन में ठान लिया कि वे हर रोज दोनों हाथों से लिखने की
प्रेक्टिस करेगी और ऐसा करके ही दम लेगी। अब तो खेल खेल में मुख्य अध्यापक
इन बच्चों से दोनों हाथों से लिखवाने लगे।
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बस इसके बाद तो इस क्लास की प्राची, मोनिका, मनु, ईशा, पूजा, वंदना व प्रिया ने इसे अपना जनून बना लिया। ये लड़कियां सुबह शाम दोनों हाथों से लिखने की प्रेक्टिस करने लगी। खाली पीरियड में भी मौका मिलता तो ये अपनी प्रेक्टिस शुरू कर देती। धीरे धीरे ये लड़कियां दोनों हाथों से लिखने लगी। लिखने की स्पीड़ भी बनने लगी और लिखावट में भी सुधार आने लगा। अब तो ये लडकियां दोनोें हाथों से एक साथ हिन्दी, इंग्लिश, संस्कृत और यहां तक कि पंजाबी भी फर्राटेदार लिख लेती है। ये लडकियां गरीब परिवारों से संबंध रखती है। इनके परिवार के सदस्य छोटी मोटी खेती करते है। इन्हें बड़ी खुशी है कि इनकी बेटियां इस मुकाम तक पहुंची। लड़कियों के परिजनों का कहना है कि उन्हें बड़ी खुशी है कि उनकी बेटियां तरक्की की ओर अग्रसर है। वे चाहती है कि उनकी बेटी साक्षी मलिक की तरह नाम कमाएं और उनका नाम गिनीज बुक आफ रिकार्ड में दर्ज हो।