अखिलेश की विधायकों के साथ बैठक शुरू, नई सूची हो सकती है जारी

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 05 जनवरी 2017, 08:35 AM (IST)

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी (सपा) में जारी सियासी संकट के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पार्टी विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक लखनऊ में शुरू हो गई है। चुनाव आयोग के बुधवार को यूपी समेत पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान करने के बाद अखिलेश यादव बैठक में चुनाव की रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं। इसी के साथ चुनाव आयोग में असली सपा होने का दावा साबित करने के लिए अपने समर्थक विधायक, विधान परिषद सदस्यों, सांसदों और पदाधिकारियों की सूची भी तैयारी की जा सकती है। चुनाव आयोग ने इस संबंध में दोनों गुटों को नोटिस जारी कर अपने समर्थकों के संबंध में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 11 फरवरी से लेकर 8 मार्च तक सात चरणों में होगा। नतीजे 11 मार्च को आएंगे।

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अखिलेश यादव ने अपने लोगों से कह दिया है कि अब वह पूरी तरह चुनाव प्रचार में लग जाएं और किसी तरह के भ्रम में न रहें। सीएम ने अपने विधायकों व बड़े नेताओं की आज बैठक बुलाई है जो 10 बजे शुरू हो गई है। इसमें अखिलेश पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से विधायकों को चुनावी तैयारियों के संबंध में निर्देश देंगे। सूत्रों का कहना है कि बैठक में पार्टी प्रत्याशियों की नई सूची भी तैयार की जा सकती है। प्रचार अभियान, रथयात्र कार्यक्रम, रैलियों पर भी चर्चा होगी। साफ है कि अखिलेश खेमा किसी समझौते का इंतजार किए बिना अब अपनी ताकत के बूते चुनाव में उतरना चाहता है। रामगोपाल यादव पहले ही कह चुके हैं कि अब सुलह समझौते का कोई मतलब नहीं है।

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शिवपाल के हटाए अध्यक्षों को अखिलेश ने रखा: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़ एवं मिर्जापुर जिलों के सभी पूर्व नामित अध्यक्षों क्रमश: राम इकबाल यादव, राम अवध यादव, हवलदार यादव तथा आशीष यादव को बहाल कर दिया है और जिला कमेटियां फिर से काम करती रहेंगी।
नरेश उत्तम ने उपर्युक्त सभी अध्यक्षों से तत्काल कार्यभार ग्रहण कर चुनाव तैयारियों में जुट जाने का आग्रह किया है। तीन रोज पहले जब मुख्यमंत्री ने जनेश्वर मिश्र पार्क में राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया था, उसी दिन शिवपाल सिंह यादव ने इन चारों जिलाध्यक्षों को हटाकर अपने लोगों को नामित किया था। इस फैसले के बाद इन जिलों में सरगर्मी बढ़ गई है।

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