तीखी मिर्च के बाद अब यहां के खेतों से मिलेगी पपीते की मिठास

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 26 दिसम्बर 2016, 08:10 AM (IST)

जोधपुर। जिले के बिराई गांव की तीखी मिर्च खेतों से विदा हो गई और इन खेतों में ताइवानी पपीते की खेती हो रही है। यहां भूमिगत जल स्तर के गिर जाने के बाद किसान कम पानी में ज्यादा उत्पादन देने वाले पपीते की खेती को बढ़ावा दे रहे हंै। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पपीते की सबसे अच्छी किस्म ‘ताइवान रेड लेडी’ या ‘ताइवानी पपीता’ की खेती जिले में शुरू होने जा रही है। ताइवानी पपीते की खेती सभी तरह की मिट्टी के लिए उपयुक्त है। किसान गोपीकिशन पंचारिया के अनुसार पपीते के पौधे सात महीने मे फल देने लगते हैं। यहां भूमिगत जलस्तर भी काफी गिरा है। ऐसे में अब यहां ड्रिप सिस्टम से ताइवानी पपीते की खेती शुरू की जा रही है। पेशे से कम्प्यूटर लैग्वेज के स्पेशलिस्ट जयप्रकाश पंचारिया बताते हैं कि अब उनका रुझान शहर से गांव की ओर बढ़ गया है और वैज्ञानिक तरीके से बहुत कम पानी में पपीते की खेती करने जा रहे हैं। पंचारिया ने ढाई हजार पौधे लगाए हैं जो, बहुत कम समय में फलोत्पादन शुरू करेंगे।

पपीता की खेती की खासियत

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पंचारिया ने अपने खेत में ढाई हजार पौधे लगाए हैं। पौधे की लंबाई महज 8-10 फीट होती है लेकिन, मार्केट वैल्यू काफी होती है। ये किस्म एक साल बाद फलने लगती है, दो-ढाई साल तक फल देती है। इसके लिए पौध को एक कतार में लगाकर उसे प्लास्टिक से ढका गया है ताकि खरपतवार पैदा नहीं हो और कम से कम पानी की आवश्यकता पड़े। इन पौधों के लिए साफ पानी दिया जाता है जिसे मशीन द्वारा शुद्ध किया जाता है और क्यारियों में छोड़ा जाता है। अब इस क्षेत्र के किसान मिर्च की बजाय पपीते के साथ व्यावसायिक खेती की और रुझान बढ़ा रहे हैं।

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