पूरे वर्ष भर चर्चाओं में रही आमिर खान निर्मित और अभिनीत फिल्म ‘दंगल’ ने दो दिन में 63 करोड का कारोबार करके स्वयं को 100 करोड के क्लब में शामिल करवाने का दावा तो प्रस्तुत कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद दर्शकों की प्रतिक्रिया इस फिल्म को सोमवार से व्यावसायिक मोर्चे पर मात दे सकती है, इसकी प्रबल संभावना बनती जा रही है। हालांकि अब छुट्टियों का माहौल है, ऐसे में बॉक्स ऑफिस को पूरी उम्मीद है ‘दंगल’ दस दिन में बॉक्स ऑफिस पर लगभग 200 करोड का कारोबार करने में कामयाब हो जाएगी। इसके साथ ही आगामी सप्ताह किसी बडी फिल्म का प्रदर्शन नहीं हो रहा है, लिहाजा दर्शकों के पास इसके अतिरिक्त कोई और विकल्प नहीं है।
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दंगल को लेकर दर्शकों की जो प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं उन्हें देखते
हुए बॉक्स ऑफिस की उम्मीदें के टूटने के आसार नजर आने लगे हैं। इस फिल्म की
शुरूआती सफलता से नोटबंदी का असर खत्म होता नजर आया है। दर्शकों का कहना
है कि दंगल अच्छी फिल्म है इसे एक बार देखा जा सकता है लेकिन यह सलमान खान
की ‘सुल्तान’ से कई मामलों में पीछे रह गई है। सलमान खान की ‘सुल्तान’ ऐसी
फिल्म है जिसे आप बार-बार देखना चाहेंगे जबकि दंगल के साथ दर्शकों की यह
भावना नहीं जुड रही है। उनका कहना है कि इसका सबसे बडा कारण है इसकी गति,
जो दर्शकों को नागवार लग रही है। नितेश तिवारी ने फिल्म को बहुत ही धीमी
गति से फिल्माया है, जबकि सलमान की सुल्तान इस मामले में अलग थी। वहां
दर्शकों को सोचने का मौका नहीं मिल रहा था। वो कहानी के प्रस्तुतीकरण की रौ
में बह रहा था।
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इसके अतिरिक्त दंगल में आमिर खान का किरदार दर्शकों
के साथ जुडाव नहीं बना रहा है। तीन बेटियों के बाप के किरदार में आमिर खान
का अभिनय अच्छा है लेकिन उनके किरदार को दर्शक अपने साथ जोडने में असफल
रहा है। दर्शकों का कहना है कि इस किरदार को तो कोई भी अच्छा चरित्र
अभिनेता निभा सकता था। आमिर के अभिनय में पहली बार ‘घमंड’ का भाव नजर आया
है। उनके चेहरे पर जो गंभीरता दर्शाई गई है वह उनके ‘घमंड’ को दर्शाती है।
जबकि सुल्तान के रूप में सलमान खान के चेहरे पर जो मासूमियत नजर आई थी, वह
उनकी स्वाभाविक अभिव्यक्ति को दर्शा रही थी।
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कहने को तो आमिर खान
ने परदे पर अपने साथ अपनी बडी बेटी ‘गीता’ को प्रमुखता दी है, इसके बावजूद
उन्होंने स्वयं को भी सर्वोपरि रखा है। अपने साथी कलाकारों के किरदारों को
उन्होंने महत्त्वहीन बना दिया है। यहां तक कि परदे पर उनकी पत्नी का किरदार
निभाने वाली साक्षी तंवर को भी उन्होंने गिनती के चंद दृश्यों में दिखाया
है। साक्षी उन्हीं दृश्यों में प्रभावी रही हैं जहां वे आमिर के साथ नहीं
हैं, जिन दृश्यों में वे आमिर के साथ हैं, उनमें कैमरे के सामने आमिर हैं
और साक्षी उनके पीछे, लेकिन दूरी पर, जिससे उनके चेहरे पर आने वाले भावों
को दर्शक सही तरीके से देख नहीं पाता।
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इसके अतिरिक्त कुछ और भी ऐसी
कमियां हैं जो दर्शकों को अखर रही हैं। दर्शकों का कहना है कि गीता पर
फिल्माया गया गीत ‘गिलहरियाँ’ की यहां पर कोई आवश्यकता ही नहीं थी। इस गीत
के दौरान जो भी दृश्य दिखाए गए हैं, उन में से दो-तीन दृश्यों को
क्लाइमैक्स के वक्त गीता की याद्दाश्त में दिखाये जा सकते थे। ट्रेनिंग के
दौरान गीता पर फिल्माये गए इन दृश्यों और गीत को संपादन की टेबल पर पूरी
तरह से हटाया जा सकता था।
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सलमान खान की ‘सुल्तान’ में निर्देशक अली
अब्बास जफर ने रिश्तों की गर्माहट को बडी बारीकी के साथ पकडा था। आपसी
रिश्तों की भावनाओं को अली ने तूफानी हवाओं की तरह किरदारों के चेहरे पर
दिखाया था। याद कीजिए वो दृश्य जहां पर अलग होने के बाद भी दोनों पति पत्नी
एक दूसरे को देखने के लिए मस्जिद आते हैं, देखते हैं, लेकिन बात नहीं करते
और अपने-अपने रास्ते चले जाते हैं। ‘सुल्तान’ में ऐसे कई दृश्य हैं, जो
दर्शकों को अंदर तक अपने साथ जोडते हैं जबकि दंगल में यह बात नहीं है।
[@ 2016: वे रिमिक्स सॉन्ग जिन्होंने मचाई धूम]
‘दंगल’ का एक दृश्य है जिसमें बेटी ट्रेनिंग के दौरान घर आती है और वापस जा रही है, इस बीचख्पिता-पुत्री में तनाव होता है। जाती हुई बेटी को पिता घर की छत से निहार रहा है, बेटी रिक्शा में अपने चेहरे पर सख्त भावों के साथ बैठी है, दोनों के चेहरों पर जो भाव आने चाहिए थे, यहां उनका नामो निशान नहीं था। निर्देशक नितेश तिवारी पिता-पुत्री के अलगाव को सही तरीके से दर्शाने में असफल रहे हैं। दर्शकों का कहना है कि इन दृश्यों में हमारे मन में ‘दुख’ की भावना का जोर पैदा होना चाहिए था, जो नहीं हो पाता है और यही ‘दंगल’ की सबसे बडी कमजोरी है।
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