जैव प्रौद्योगिक पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का सम्पन्न

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 24 दिसम्बर 2016, 6:13 PM (IST)

श्रीगंगानगर । महर्षि दयानंद कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का विचार विमर्श के बाद सम्पन्न हो गया। सम्मेलन का विषय सतत विकास के लिए जैव प्रौद्योगिक का महत्व था। समेलन में देश के अलग-अलग जगहों से आये वेज्ञानिकों ने बताया की जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग कर हम वातावरण के प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते हैं। इसकी विभिन्न तकनीकों का उपयोग कर हम मनुष्य जाति के जीवन के स्तर को सुधार सकते हैं। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से हम इसका उपयोग कर मॉलिक्यूलर स्तर पर प्राणियों का वर्गीकरण कर सकते हैं,वन्यजीव सरंक्षण में यह तकनीक कैसे सहायता कर सकती है। प्रो. डॉ. अभिषेक वशिष्ठ ने जैव प्रौद्योगिकी के आर्थिक फायदों पर प्रकाश डाला। जैव प्रौद्योगिकी द्वारा तेल रिसाव जैसी गंभीर समस्याओं के समाधान पर व्याख्यान दिया। जैव प्रौद्योगिकी तकनीकों का उपयोग कर प्रतिरोधी रोग जनकों के लिए नए एंटीबायोटिक विकसित करने पर चर्चा की। प्रोबायोटिक के उपयोग के अच्छे बुरे प्रभावों पर भी ज्ञान वर्धन किया। समिति के निदेशक डॉ. आरएस पूनिया ने ग्रीन एनर्जी अपना कर संसाधनों के दुरुपयोग के रोकने पर बल दिया। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजेश धींगड़ा ने बताया कि सम्मेलन में 140 प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया जिसमें अन्य राज्यों से आए करीब 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पोल हरबर्ट सेंटर फॉर डीएन बार कोडिंग एंड बायोडायवर्सिटी के निदेशक डॉ. जीडी खेडक़र ने नवीनतम तकनीक डीएनए बार कोडिंग पर जानकारी दी। प्रो. डॉ. अभिषेक वशिष्ठ ने जैव प्रौद्योगिकी के आर्थिक फायदों पर प्रकाश डाला। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी द्वारा तेल रिसाव जैसी गंभीर समस्याओं के समाधान पर व्याख्यान दिया। सम्मेलन के समापन पर इग्नू से आई प्रोफेसर नीरा कपूर ने डेंगू,चिकनगुनिया एवम जीका विषाणुओ को फैलाने वाले एडिस मच्छरों से उत्पन्न प्रतिरोधी म्यूटेशन पर प्रकाश डाला गया.पोस्टर प्रदर्शनी में शोधार्थियों ने सूक्ष्म जैविक विधिवता,रतनजोत के पौधे से जैव डीजल,तेल खनन से उत्पन्न जैव विधिवता पर आये खतरों आदि पर पोस्टर प्रदर्शित किये।कार्यक्रम समापन पर डॉक्टर अमित शर्मा,प्रोफेसर श्यामसुनदर,प्रोफ़ेसर रामेश्वर गोदारा,विवेक सहित महाविद्यालय विद्यार्थी मौजूद रहे।

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