आबकारी विभाग ने एक गांजा माफिया को भांग का ठेका देने के लिए मेहरबान

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 24 दिसम्बर 2016, 4:11 PM (IST)

कौशाम्बी। आबकारी अधिकारी के काले कारनामे के चक्कर में निरस्त हुआ भांग की सरकारी नीलामी प्रक्रिया। आप यकीन नहीं करेगे जिले के आबकारी विभाग सबसे ज्यादा राजस्व 1 करोड़ 16 लाख रुपये का ठेका नीलामी प्रक्रिया के जरिये केवल और केवल भाग की ४२ दुकानों से लेता है । पिछले साल विवादों में रहने के बाद भी इस साल भांग की नीलामी पहले आबकारी अधिकारी ने बोली प्रक्रिया से कराने की कोशिश की , लेकिन अपने चहेते ठेकेदार सुमित त्रिपाठी को पूरे जिला का ठेका न दिला पाने के चक्कर में आबकारी अधिकारी नियमो को ताक पर रखने को आमादा हो गए । भांग की दुकानों की नीलामी के शामिल आये लोगो ने इसका विरोध किया तो आबकारी अधिकारी ने पूरी नीलामी प्रक्रिया को ही स्थगित कर दिया । आरोप है कि आबकारी अधिकारी अब चोरी छिपे अपने चहेते और जिले के बड़े गांजा माफिया को भांग का ठेका देना चाहते है। इसके लिए उन्होंने सुमित त्रिपाठी से लाखो की मोटी रकम भी ले रखी है ।

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आखिर कौन है सुमित त्रिपाठी , जिस पर है आबकारी अधिकारी इतने मेहरबान । कौशाम्बी जिले में ४२ भांग की दुकाने है । जिसकी नीलामी की प्रक्रिया तहसील स्तर पर या फिर बोली के जरिये कराइ जाती है ।नियमतः यह सभी दुकाने एक ही व्यक्ति को नहीं दी जा सकती , लेकिन कौशाम्बी में भांग से होने वाली काली कमाई यानी यू कहे कि भांग की आड़ में गांजा बेचने का खुला लाइसेंस हमेसा से लोगो को आबकारी विभाग की इस नीलामी की तरफ खीच ले आती है ।

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इसी का परिणाम है कि कौशाम्बी जिले में भी भांग की आड़ में युवा नसों में गांजा का नशा दौड़ा कर मोटी कमाई के चक्कर में सुमित त्रिपाठी जैसे लोगो को हमेसा विभाग मोटी रकम लेकर मेहरबान है | इतना ही नहीं विभाग के अधिकारी भी इन्ही ठेकेदारों से हाथ से हाथ मिला कर अपनी जेबे आराम भरते है | इस बात का खुलाशा आबकारी के पिछले सालो के टेंडर के दस्तावेजो से हुआ है |

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