सामाजिक मर्यादाएं होती हैं कानून से बढक़र: प्रो. जैन

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 24 दिसम्बर 2016, 11:33 AM (IST)

बीकानेर। सामाजिक मर्यादाएं कोई कानून नहीं बल्कि कानून से बढक़र हैं। यह बात जैन महासभा द्वारा पंचांग 2017 के लोकार्पण एवं सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए गंगाशहर स्थित आशीर्वाद भवन में मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ. टी. के. जैन ने कही। उन्होंने कहा कि शादी, विवाह व अन्य सामाजिक व पारिवारिक आयोजन मेल-मिलाप समाज में प्रेम और सांमजस्य बढ़ाने के अवसर होते हैं। इन अवसरों का आयोजन बहुत ही शालीनता और मर्यादा से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल देखा-देखी में अपव्यय की मानसिकता बढ़ रही है। इसको रोकना समाज की जिम्मेदारी है ताकि, समाज अपनी पहचान बनाए रखे। जैन महासभा के नेतृत्व में समाज के सभी घटकों ने मिलकर इसी बीमारी का इलाज करने के लिए 21 व्यंजन की सीमा की मर्यादा तय की है। इसको अपनाना हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है जो इसका अंग है। प्रो. जैन ने कहा कि मर्यादाओं में शिथिलता किसी भी समाज के लिए घुन की तरह होती है जो उस समाज के अस्तित्व को ही खतरे में डाल सकती है। पंचांग के बारे में जानकारी देते हुए जतन दूगड़ ने कहा कि पंचांग में तिथि, दिनांक, आयोजन, त्योहार, सूर्योदय, नवकार, पोरसी, दूगडिय़ा, चौघडिय़ा, पक्खी, संवत्सरी इत्यादि के साथ ही जैन धर्म के सभी घटकों के सभी पर्वों व तीर्थकरों के पंचकल्याणक की जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि 21 व्यंजन सीमा अभियान की घर-घर जानकारी रहे इसमें इस पंचांग की विशेष भूमिका है। जैन महासभा के अध्यक्ष जयचन्द लाल डागा ने कहा कि समाज में सादगीपूर्ण आयोजनों हेतु जैन समाज के प्रत्येक व्यक्ति को 21 व्यंजन सीमा अभियान के अनुरूप संकल्पित होना चाहिए। समारोह का शुभारम्भ सामूहिक नवकार मंत्र के उच्चारण से हुआ। तेरापंथ महिला मण्डल ने महावीर अष्टकम, समता बहू मण्डल ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। आभार ज्ञापन विनोद बाफना ने किया तथा संचालन जैन लूणकरण छाजेड़ ने किया।

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