नई दिल्ली। पठानकोट एयरबेस अटैक की एनआईए जांच कर रही है, उसे आतंकियों को भारत में मदद किए जाने का परा शक है, दूसरी तरफ पाकिस्तान भारत के दिए सबूतों को हमेशा की तरह नकारने की मुद्रा में,नाकाफी बता रहा है।
केंद्र सरकार का मानना है कि पठानकोट हमले के दोषियों और षडयंत्रकारियों पर पाकिस्तान की ठोस कार्रवाई पर ही बातचीत निर्भर करेगी। अगर बातचीत के लिए प्रस्तावित तिथि15 जनवरी से पहले कुछ ठोस नतीजा सामने नहीं आया तो वार्ता आगे के लिए भी टाली जा सकती है।
इस मसले पर सोमवार को केंद्र सरकार में उच्च स्तर पर मंथन हुआ। इसमें पाकिस्तान की कार्रवाई की समीक्षा और भविष्य की रणनीति को लेकर चर्चा की गई।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बातचीत हुई। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल ने भारत के कडे रूख को दोहराया। उन्होंने गृहमंत्री राजनाथ सिंह और रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर से अलग-अलग मुलाकात की।
सरकार की ओर से राजनाथ-सुषमा की मुलाकात पर आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया। हालांकि माना जा रहा है कि दोनों नेताओं ने पाकिस्तान द्वारा अब तक की गई जांच और उसके नतीजों पर बात की है। सुषमा से मुलाकात से पहले गृह मंत्री ने डोवाल और अन्य उच्च अधिकारियों के साथ मामले में प्रगति की समीक्षा की।
उचित माहौल जरूरी...
सूत्रों ने कहा कि भारत ने अपना मत बता दिया है कि पठानकोट हमले में बिना किसी ठोस नतीजे के बातचीत के लिए उचित माहौल नहीं बनेगा। भारत इसी शर्त पर समग्र बातचीत कर सकता है, जब आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई का संदेश दिया जाए। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध और विश्वास बहाली के लिए जरूरी है कि पठानकोट हमले के दोषियों को कानून के कठघरे में खडा किया जाए। पाकिस्तान ने जो भी जांच की है उसे लेकर भारत अभी तक बहुत आश्वस्त नहीं है।
आतंकियों के थे अंदरूनी मददगार...
आतंकी हमले की जांच कर रही एनआईए अब इस मुद्दे पर गौर कर रही है कि पाकिस्तान से आए आतंकियों को यहां किसने मदद और पनाह दी क्योंकि ये लग रहा है कि आतंकी हमले से बहुत पहले यहां आ गए थे। उन्होंने अपने साथ जो इतने हथियार और साजो-सामान लाए थे, ऎसा करना बिना मदद के मुमकिन नहीं था।
पठानकोट हमले के हफ्ते भर बाद वहां दूरबीन, एके-47 की मैगजीन और सेलफोन जैसी चीजें बरामद हुईं।
एनआईए के 10 लोगों की टीम पूरी छानबीन में लगी हुई है। अब सारा जोर ये पता लगाने पर है कि इस आतंकी कार्रवाई में किन लोगों ने अंदरूनी मदद की।
कहा जा रहा है कि आतंकी 30-31 दिसंबर की रात ही आ गए थे और 1 जनवरी को वे एयरबेस पहुंच गए थे। एजेंसी ये जानने में लगी है कि हमले के 20 घंटे तक वे कहां रहे। आतंकियों ने सात से आठ कॉल पाकिस्तान में किए, जिनमें से तीन इंटरसेप्ट किए गए। एक फोन कॉल तो कार्रवाई के दौरान का ही था।
एक कॉल में ये ब्योरा मिल रहा है कि वे कहां से और कब भीतर आए। सबसे अहम सवाल है कि इतने सारे हथियार उनके पास कहां से आए, क्योंकि पांच या छह लोग मोर्टार और राइफलों सहित इतना सारा हथियार अकेले नहीं ढो सकते।
दिल्ली में एनआईए की एक टीम गुरदासपुर से लाए गए एसपी सलविंदर सिंह से सोमवार को पूछताछ करती रही। उनके रसोइए मदनगोपाल को भी दिल्ली लाकर उससे पूछताछ की जानी है।
इस बीच सरकार ने पाकिस्तान द्वारा पठानकोट की जांच के लिए अपनी एजेंसियों
की साझा टीम बनाने का स्वागत किया है, लेकिन कहा है कि नतीजों पर उसकी नजर
रहेगी। इधर कांग्रेस ये सवाल उठा रही है कि सरकार पाकिस्तान के खिलाफ सबूत
सार्वजनिक क्यों नहीं करती।
पाक ने दी प्रारंभिक जांच रपट, हर बात नकारी...
पाकिस्तान ने पठानकोट में भारतीय वायुसेना अड्डे पर हुए आतंकवादी
हमले के तार कथित तौर पर पाकिस्तान से जुडे होने के मामले पर अपनी प्राथमिक
रपट भारत को सौंप दी है। द न्यूज इंटरनेशनल की एक रपट में सोमवार को कहा
गया है कि सूत्रों के अनुसार भारतीय प्रशासन को जांच रपट सौंप दी गई है।
रपट में कहा गया है कि भारतीय प्रशासन ने आतंकवादियों और उनके आकाओं तथा
परिवारिक सदस्यों के बीच वायुसेना अड्डे से टेलीफोन पर हुई बातचीत के
ब्योरे पाकिस्तान को मुहैया कराए हैं।
भारत ने वे टेलीफोन नंबर भी उपलब्ध कराए हैं, जिन पर आतंकवादियों ने काल
किए थे।
रपट में अनाम सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत द्वारा उपलब्ध कराए
गए टेलीफोन नंबर पाकिस्तान में पंजीकृत नहीं हैं। रपट में कहा गया है, जांच
एजेंसियां पठानकोट के हमलावरों से संबंधित जानकारियों की आगे जांच कर रही
हैं। पाकिस्तानी अधिकारियों ने मीडिया से कहा है कि भारत द्वारा दी गई
जानकारी पर्याप्त नहीं है और न्यायालय में यह टिक नहीं पाएगी।