साहित्य पाठक को शक्ति देता हैः अनुपम शर्मा

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 23 दिसम्बर 2016, 2:58 PM (IST)

ऊना। हिमाचल साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार व जिला लोक संपर्क अधिकारी गुरमीत बेदी के हाल ही में प्रकाशित कहानी संग्रह सूखे पत्तों का राग पर भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा यहां एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में कला, संगीत व साहित्य अनुरागी जिला पुलिस अधीक्षक अनुपम शर्मा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। जबकि साहित्यकार व एसडीएम पृथीपाल सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
पुलिस अधीक्षक अनुपम शर्मा ने इस अवसर पर कहा साहित्य और समाज का गहरा सम्बन्ध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। यदि समाज शरीर है तो साहित्य उसकी आत्मा है। साहित्य पाठक को सशक्त करता है, उसको शक्ति देता है। उन्होंने कहा व्यक्ति समाज में रहते हुए अनेक प्रकार के अनुभव ग्रहण करता रहता है। जब वह अपनी अनुभूतियों को शब्दों से व्यक्त करता है तो वह साहित्य का रूप धारण कर लेता है। अभिव्यक्ति की यही शक्ति व्यक्ति को साहित्यकार बना देती है।
अतः जैसा समाज होगा वैसा ही साहित्य होगा और जैसा साहित्य होगा वैसे ही समाज की उसमें झलक दिखाई देगी। यानि साहित्य और समाज एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने कहा गुरमीत बेदी की कहानियों में प्रकृति और मनुष्य के पारंपरिक संबंध भी उभरकर सामने आते हैं। बेदी की कहानियां दिल को छूने व मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ने वाली कहानियां हैं। गुरमीत बेदी ने इस अवसर पर अपनी एक चर्चित कहानी पुल का पाठ भी किया जिस पर साहित्यकारों ने विस्तार से चर्चा की। एसडीएम व साहित्यकार पृथीपाल सिंह ने कहा कि गुरमीत बेदी ने अपनी कहानियों में जहां स्त्री-पुरूष संबंधों की पड़ताल की है, वहीं उन लोगों की पीड़ा को भी स्वर दिया है जो समाज से जूझ रहे हैं।
लेखक समाज के विभिन्न सामाजिक पक्ष पर अपना दृष्टिकोण बनाना चाहता है। कहानी संग्रह पर अपना मुख्य वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए प्रदेश के वरिष्ठ कवि, कहानीकार व समीक्षक कुलदीप शर्मा ने कहा कि गुरमीत बेदी के कहानी संग्रह की लगभग सभी कहानियां अपने समय व परिवेश की तमाम तल्खियों, तमन्नाओं और तजवीजों की टोह लेती हुई कहानियां हैं। ये कहानियां अपने कथन और शिल्प में कहानी के स्थापित मूल्यों व प्रतिमानों को न केवल अक्षुण्ण रखती हैं बल्कि उन्हें नई सृजनात्मक सरहदों तक ले जाती हैं।
सूखे पत्तों का राग सुनने के लिए जिस संवेदन की जरूरत होती है, वह लेखक के पास पहले से मौजूद है। जिला भाषा अधिकारी रेवती सैणी ने कहा कि ऐसे समय में जब कहानी के नाम पर भाषा का वाग्जाल रचा जा रहा हो, शिल्प की दिशा में बहुत काम हो रहा हो, अनुभव को खारिज कर भाषा को स्थापित किया जा रहा हो, ऐसे विकट दौर में गुरमीत बेदी ने अपनी तरह से कहानी को रचने का हुनर विकसित किया है। इनके पास ईमानदारी और साफगोई के बहुत किस्से हैं।
साहित्यकार अंबिका दत्त ने कहा गुरमीत बेदी की कहानियां मानवीय मूल्य और संवेदना को अभिव्यक्त करने वाली कहानियां हैं। राजीव शर्मन और जोगिन्द्र देव आर्य सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे। गोष्ठी में ऊना प्रेस क्लब व बंगाणा प्रेस क्लब के पदाधिकारियों व सदस्यों सहित जिला भर से आए साहित्यकार भी उपस्थित थे।

[@ अदिति बनीं मिस कोहिनूर-ए-ताज, SEE PIC ]