तैमूर ने 1399 में कांगडा को कब्जाकर दोनों हाथों से लूटा

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 21 दिसम्बर 2016, 3:22 PM (IST)

शिमला। उज्बेकिस्तान के बेरहम लुटेरे शासक तैमूर ने मेरठ, दिल्ली, हरिद्वार के अलावा 1399 में हिमाचल प्रदेश की कांगडा रियासत को भी कब्जे में लेकर जमकर लूटा था। यहां प्रस्तुत है सोशल मीडिया पर तैमूर विवाद को लेकर वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण भानु द्वारा अपनी फेसबुक वाल पर डाली गई पोस्ट।
कृष्ण भानु लिखते हैं कि सैफ और करीना ने अपने पुत्र का नाम तैमूर क्या रखा कि विवाद खड़ा हो गया। आखिर तैमूर था कौन! तैमूर बेशक लुटेरा शासक था लेकिन नाम और कर्म में जमीं-आसमां जितना अंतर रहता है। वैसे हथौड़े को भी तैमूर कहा जाता है। नाम रखने से कितने राम हो गए, कितने कृष्ण और कितने शिव या शंकर बन गये। फिर तैमूर नाम रखने पर आपत्ति कैसी और क्यों! आपत्ति में शामिल अधिकांश को शायद ही मालूम हो कि तैमूर कौन हुआ। सोशल मीडिया की दुनियां में भी गजब की भेड़चाल है। वैसे प्रसंगवश यूँही बता दूं कि तैमूर उज्बेकिस्तान का बेरहम लुटेरा शासक हुआ जो हिन्दोस्तान को लूटने के मकसद से दिल्ली आया और पांच दिनों तक सारा शहर बुरी तरह से लूटा-खसोटा गया। दिल्ली के निरीह निवासियों का कत्ल किया गया या बंदी बनाया गया।
पीढ़ियों से संचित दिल्ली की दौलत तैमूर लूटकर समरकंद ले गया। अनेक बंदी बनाई गई औरतों और शिल्पियों को भी तैमूर अपने साथ ले गया। भारत से जो कारीगर वह अपने साथ ले गया उनसे उसने समरकंद में अनेक इमारतें बनवाईं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध उसकी स्वनियोजित जामा मस्जिद है। तैमूर भारत में केवल लूट के लिये आया था। उसकी इच्छा भारत में रहकर राज्य करने की नहीं थी। अत: 15 दिन दिल्ली में रुकने के बाद वह स्वदेश के लिये रवाना हो गया। 9 जनवरी 1399 को उसने मेरठ पर चढ़ाई की और नगर को लूटा तथा निवासियों को कत्ल किया। इसके बाद वह हरिद्वार पहुंचा जहां उसने आसपास की हिंदुओं की दो सेनाओं को हराया।
शिवालिक पहाड़ियों से होकर वह 16 जनवरी 1399 को कांगड़ा पहुंचा और उस पर कब्जा किया। इसके बाद उसने जम्मू पर चढ़ाई की। इन स्थानों को भी लूटा खसोटा गया और वहां के असंख्य निवासियों का कत्ल किया गया। इस प्रकार भारत के जीवन, धन और संपत्ति को अपार क्षति पहुंचाने के बाद 1399 को पुन: सिंधु नदी को पार कर वह भारतभूमि से अपने देश को लौट गया। इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए चन्द्रकांत शर्मा लिखती है कि इस सुंदर ऐतिहासिक जानकारी के लिए धन्यवाद, मैं विचारों से सहमत हूँ। पंडित प्रदीप भारद्वाज ने लिखा बहुत ही अच्छी जानकारी दी इसलिए आपका शुक्रिया। वहीं प्रकाश बादल ने प्रतिक्रिया दी कि हमारा ज्ञान बढाने के लिए शुक्रिया। अमरेन्द्र राय की प्रतिक्रिया कि तैमूर पर संक्षेप में अच्छी जानकारी दी। इसके अलावा भी कई लोगों ने इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं ।[@ 27 लाख की यह कार साढ़े 53 लाख में हुई नीलाम, जानें क्यों हुआ ऐसा]