गांधीवादी अनुपम मिश्र का अंतिम संस्कार

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 19 दिसम्बर 2016, 10:55 AM (IST)

नई दिल्ली। प्रख्यात पर्यावरणविद् गांधीवादी विचारक अनुपम मिश्र का सोमवार दोपहर यहां निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनका सोमवार तड़के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था। वह 68 वर्ष के थे। अनुपम मिश्र के शव को पूर्वाह्न 11 बजे गांधी शांति फाउंडेशन लाया गया, जहां से उनकी शवयात्रा शुरू हुई और निगम बोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।

उनकी अंतिम यात्रा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता डीपी त्रिपाठी, स्वराज अभियान के अध्यक्ष योगेंद्र यादव, दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा, मध्य प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन, वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार सहित 300-400 लोग मौजूद थे।

अनुपम मिश्र का अपना कोई घर नहीं था। वह गांधी शांति फाउंडेशन के परिसर में ही रहते थे। उनके पिता भवानी प्रसाद मिश्र प्रख्यात कवि थे।

अनुपम मिश्र के परिवार के एक करीबी सूत्र ने बताया कि मिश्र पिछले सालभर से कैंसर से पीडि़त थे। मिश्र के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा, बड़े भाई और दो बहनें हैं। मिश्र गांधी शांति प्रतिष्ठान के ट्रस्टी एवं राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि के उपाध्यक्ष थे।

मिश्र को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय पर्यावरण पुरस्कार, जमना लाल बजाज पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। जल संरक्षण पर लिखी गई उनकी किताब आज भी खरे हैं तालाब काफी चर्चित हुई और देशी-विदेशी कई भाषाओं में उसका अनुवाद हुआ। पुस्तक की लाखों प्रतियां बिक चुकी है।



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उनकी अन्य चर्चित किताबों में राजस्थान की रजत बूंदें और हमारा पर्यावरण है। हमारा पर्यावरण देश में पर्यावरण पर लिखी गई एकमात्र किताब है। अनुपम मिश्र ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने देश में पर्यावरण पर काम शुरू किया।

उस समय सरकार में पर्यावरण का कोई विभाग तक नहीं था। उन्होंने गांधी शांति प्रतिष्ठान में पर्यावरण कक्ष की स्थापना की। मिश्र जयप्रकाश नारायण के साथ दस्यु उन्मूलन आंदोलन में भी सक्रिय रहे।

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