कला को जिन्दा रखना हैं तो बंद करना होगा राजनैतिक हस्तक्षेप: प्रजापति

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 16 दिसम्बर 2016, 4:19 PM (IST)

टोंक। पद्मश्री प्राप्त अर्जुन प्रजापति ने कहा हैं कि यदि कला एवं कलाकार को जिन्दा रखना हैं तो कला के क्षैत्र में हो रहे राजनैतिक हस्तक्षेप को बन्द करना होगा। उन्होंने कहा कि यदि राजनैतिक हस्तक्षेप बन्द नही हुआ तो वह दिन दूर नही जब न तो कलाकार होगा न ही कला।

प्रजापति शुक्रवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चित्रकला विभाग के तत्वाधान में आयोजित शिल्प एवं शिल्पकार, वर्तमान चुनौतियां विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उदघाटन सत्र में मुख्यअतिथि पद से बोल रहे थे,जिन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि वर्तमान में क लाकारों का सम्मान नही हो रहा बल्कि पुरस्कार बेचे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शौरूम चलाने वाले को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल जाता है और कलाकार पुरस्कार से वंचित रह जाता है। उन्होनें कहा कि गलत तरीकों से एण्ट्री करने वाले फ र्जी कलाकार राष्ट्रीय पुरस्कार ले जाते हैं लेकिन जो असली कला के पुजारी हैं उन्हें राज्य पुरस्कार तक भी जीवन पर्यन्त नहीं मिल पाता है जिससे प्रतिभा की उपेक्षा होती हैं।



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राज्य में कला विद्यार्थियों की उपेक्षा के लिए राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार यदि कलाकारों को उचित स्थान देना बंद कर देगी तो कला और कलाकार दोनों ही विलुप्त हो जायेगें, जिससे समाज संकट में आ जाएगा। राज्य की भाजपा सरकार द्वारा गठित बोर्डो में राजनैतिक नियुक्तियों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि राजस्थान सरकार ने माटी कला बोर्ड का चैयरमैन ऐसे व्यक्ति को बना दिया जिसने माटी का काम वर्तमान तक नहीं किया। उन्होंने कहा कि चाहे राजनैतिक नियुक्तियां हो लेकिन भाजपा में भी प्रजापति एवं कुम्हार तो होंगे ही ना,जो व्यक्ति माटी के संबंध में ज्ञान ही नही रखता वह क्या बोर्ड चलायेगा।

राजकीय महाविद्यालय टोंक में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के उदघाटन सत्र में मुख्यअतिथि पद्मश्री अर्जुन प्रजापति के अलावा प्रो.सी एस मेहता पूर्व डीन ललित कला संकाय राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर ,प्रो.श्यामलाल मीना प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय गंगापुर सिटी, प्रो.मायारानी पूर्व डीन ललित कला संकाय राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर,डॉ.महिपाल सिंह श्रीगोविन्द गुरू राजकीय महाविद्यालय बांसवाडा तथा मुख्यवक्ता प्रो.राजेश राज पर्ल विश्वविद्यालय जयपुर ने भी सम्बोधित किया। जिस दौरान संगोष्टी के आयोजन सचिव डॉ.रामावतार मीणा,राजकीय महाविद्यालय टोंक के प्राचार्य प्रोफेसर आर पी बेनीवाल, सहसचिव डॉ.सीमा वर्मा ,कला शिक्षा आन्दोलन से जुडे महेश गुर्जर सहित देशभर से आये संभागी मौजूद थे।

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