सीट बंटवारे पर शिवसेना और भाजपा का झगडा अभी नहीं सुलझा

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 20 सितम्बर 2014, 11:14 AM (IST)

नई दिल्ली। महाराषट्र में सीट बंटवारे पर शिवसेना और भाजपा का झगडा अभी नहीं सुलझा है। शुक्रवार शाम 6 दिन बाद दोनों पार्टियों के नेताओं की बैठक में गठबंधन नहीं तोडने पर सहमति जरूर बनी। इसके बाद दोनों दलों ने एक-दूसरे को अपने-अपने प्रस्ताव भेजे हैं और दोनों को एक दूसरे के जवाब का इंतजार है। अब तक हुई बातचीत में दोनों के बीच बात बनती नही दिख रही है। दोनों दल सम्मानजनक गठबंधन की बात कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि इस सम्मान के लिए सीटों से समझौता कौन करेगा!
शिवसेना ने साफ कर दिया है कि उसे जो सही लगा, वह प्रस्ताव उसने दे दिया है। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने इस वार्ता में खुद को दूर रखा और इसके लिए अपने बेटे एवं युना शिवसेना प्रमुख आदित्य ठाकरे तथा राज्य विधानसभा में शिवेसना के नेता सुभाष देसाई को लगाया, जिन्होंने भाजपा के महाराष्ट्र चुनाव प्रभारी ओपी माथुर से मुलाकात की। आदित्य ठाकरे ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, किसी भी गठजोड में मतभेद हो सकता है। दोनों ही कोई अहं नहीं दिखा रहे... हम गठजोड को आगे बढाना चाहते हैं। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष देवेंद्र फडनवीस ने बताया कि पार्टी ने शिवसेना को सीट बंटवारे पर एक प्रस्ताव दिया है और उम्मीद जताई जा रही है कि इसका सकारात्मक जवाब मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोई भी गठजोड नहीं तोडना चाहता। ओपी माथुर ने कहा कि गेंद अब शिवसेना के पाले में है। वे चर्चा के लिए आए.. हमने उन्हें अपना प्रस्ताव दे दिया और अब उन्हें फैसला करना है। दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि शिवसेना के नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी और उद्धव ठाकरे के बीच सीट बंटवारे पर बातचीत की मांग रखी है लेकिन भाजपा इसके लिए भी तैयार नहीं है।
बैठक में शिवसेना की ओर से आदित्य ठाकरे, सांसद अनिल देसाई, विधायक सुभाष देसाई शामिल हुए जबकि भाजपा की तरफ से महाराष्ट्र के प्रभारी ओम माथुर और महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष देंवेंद्र फडनवीस मौजूद थे। बताया जा रहा है कि बैठक में शिवसेना ने भाजपा को 110, खुद 160 और अन्य पार्टियों को 18 सीटें देने का प्रस्ताव दिया जिसे भाजपा ने ठुकरा दिया। शिवसेना-भाजपा गठबंधन में शामिल छोटे दलों ने भी दबाव बढाना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय समाज पक्ष के महादेव जानकर ने कहा है कि अगर शिवसेना और भाजपा के नेता यह सोच रहे हैं कि सिर्फ 4-5 सीटें देंगे तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। आरएसपी ने कुल 14 सीटों की मांग की है। एक और सहयोगी पार्टी शिव संग्राम के नेता विनायक मेटे ने भी सीटों को लेकर हो रही देरी को गठबंधन के हित में नहीं बताया है।
भाजपा, शिवसेना के उस ऑफर को पहले ही ठुकरा चुकी है, जिसमें 119 सीटों पर लडने की बात कही गई थी। भाजपा कह रही है कि बीते 25 सालों में जिन सीटों पर शिवसेना कभी नहीं जीती उन सीटों पर शिवसेना दावा छोड दे, लेकिन शिवसेना भाजपा को 119 से ज्यादा सीट देने को राजी नहीं है। शिवसेना और भाजपा में तल्खी का अंदाजा मुंबई में लगाए गए भाजपा के उन पोस्टरों से लगाया जा सकता है, जिनमें सिर्फ नरेंद्र मोदी की तस्वीर है। इसमें न तो शिवसेना के किसी नेता का नाम है और ना ही किसी की तस्वीर।