जम्मू/श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में चारों तरफ बाढ से बरबादी का मंजर दिख रहा है। बारिश और बाढ की चपेट में आकर अलग-अलग इलाकों में फंसे लाखों परिवार अब भी राहत का इंतजार कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात को देखते हुए फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही है। कश्मीर में पानी घट रहा है, हालात चिंताजनक बने हुए हैं। 80 हजार से ज्यादा लोगों को अब तक बचाया जा चुका है। इसमें सेना ने 49 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला है, लेकिन अब भी करीब चार लाख लोग फंसे हुए हैं। सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ की टीमें दिन-रात राहत कार्य में जुटी हुई हैं, लेकिन चारों तरफ पानी भरा होने के कारण कुछ इलाकों में पहुंचने में दिक्कत आ रही है। वहीं, संचार सेवा भी पूरी तरह ठप होने के कारण मुश्किलें बढ गई हैं। देश के अलग-अलग इलाकों से घाटी घूमने गए सैकडों पर्यटक भी बाढ में फंसे हुए हैं।
प्रशासन की तरफ से 8-10 कंट्रल रूम खोले गए हैं। हिंदनाला और गांदरबल अलर्ट पर है।
अलग-अलग स्थानों पर फंसे लगों ने प्रशासन से किसी भी तरह उन्हें जिंदा बचाने की अपील की है। उधर, जम्मू-कश्मीर में एनडीआरएफ की टीम के तीन सदस्यों पर हमला हुआ है। राहत और बचाव ऑपरेशन से नाराज कुछ स्थानीय लोगों ने श्रीनगर में एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिस्पॉस फोर्स) के तीन जवानों पर हमला कर दिया है। इनमें एक जवान की हालत गंभीर है। उसे इलाज के लिए चंडीगढ भेजा गया है।
इसके अलावा कुछ और जगहों से भी एनडीआरएफ की टीम को परेशान करने और उनकी नावों को छीने जाने की खबर भी आ रही हैं।
इस बीच, श्रीनगर में मोबाइल सेवा बहाल करने के लिए बीएसएनएल की टीमें लगातार काम कर रही हैं और देर रात से कुछ इलाकों में फोन सेवा चालू भी हो गई है। दूसरी तरफ उधमपुर से कटरा तक की रेल सेवा बहाल कर दी गई है। वहीं डोडा, राजौरी और किश्तवार का संपर्क भी बहाल कर दिया गया है।
जम्मू के तकरीबन 60 फीसदी इलाके में बिजली बहाल कर दी गई है। फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए वायुसेना के 31 विमान और 30 हेलीकॉप्टर जुटे हुए हैं। हेलीकॉप्टरों के जरिये लोगों को बाहर निकालने का काम और उन तक रसद, दवाई, टेंट पहुंचाने का काम जारी है।
उधर, एनआईटी में शरण लिए हुए लोगों ने एक न्यूज चैनल के जरिए अपने परिवारवालों को खुद के सुरक्षित होने की जानकारी दी। होस्टल में भी पानी भरा होने के बावजूद छात्र लगातार प्रभावित लोगों की मदद के काम में जुटे हैं। लोगों ने प्रशासन से कश्ती मुहैया कराने की मांग की। खाने का सामान खत्म हो हो चुका है। दूसरी ओर, डल झील का पानी सडकों तक पहुंचने के बाद लोग अपने घरों को खाली कर भागने को मजबूर हैं।
बाढ के हालात को 109 साल की सबसे बदतर स्थिति बताते हुए राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि सरकार सभी लोगों को बचाने और फिर उनका पुनर्वास करने के लिए उन तक पहुंच बनाएगी। राज्य में आपदा से प्रभावित लोगों के गुस्से और हताशा को स्वीकार करते हुए उमर ने कहा कि राज्य के अधिकारी और सशस्त्र बल संकटग्रस्त लोगों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
लोगों में भारी गुस्सा...
श्रीनगर में बाढ की चपेट में अलग-अलग इलाकों में फंसे लोगों में प्रशासन की तरफ से मदद नहीं मिलने पर भारी नाराजगी है। लोगों का आरोप है कि उनके छोटे-छोटे बच्चो भूखे मर रहे हैं। एक-एक घर से कई लाशें मिल रही हैं, लेकिन उन्हें निकालने के लिए अब तक न तो बोट भेजे गए और न ही चॉपर। लोगों का कहना है कि पिछले कई दिनों से वे पानी के बीचों-बीच फंसे हुए हैं। परिवारवालों को कुछ पता नहीं चल रहा है। सरकार सिर्फ झूठे वादे कर रही है। रोते-बिलखते इन लोगों ने अब जिंदा बचने की उम्मीद भी खो दी है।
मदद में रात-दिन सेना के जवान:
जम्मू-कश्मीर के बाढ प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए सेना के जवान भी 24 घंटे मोर्चा संभाले हुए हैं। जिन इलाकों का संपर्क मुख्य सडकों से कट गया है, वहां सेना पंटून पुल के जरिए लोगों को निकालने की कोशिश कर रही है। जम्मू और श्रीनगर में सेना ने अपने 200 से ज्यादा कॉलम तैनात किए हैं। सेना की तरफ से 70 हजार से ज्यादा कंबल, हजारों लीटर पीने का साफ पानी और खाने पीने के पैकेट बांटे हैं। वायुसेना के हेलिकॉप्टर लोगों को बचाने के लिए 300 से ज्यादा उडान भर चुके हैं।
एयर इंडिया की दो उडान मुफ्त...
राज्य में बाढ में फंसे लोगों को उनके शहरों तक पहुंचाने के लिए एयर इंडिया ने दो फ्लाइट मुफ्त शुरू की है। बाढ प्रभावित इलाकों में फंसे देश के दूसरे हिस्सों के लोगों के श्रीनगर आने के बाद इन फ्लाइट के जरिए दिल्ली लाया जाएगा। उसके बाद ये अपने-अपने घरों को जा सकते हैं।
उधर, केंद्र ने जम्मू कश्मीर सरकार को अभी तक बचाए गए लोगों की लिस्ट बनाकर उसे जल्द से जल्द सरकारी वेबसाइट पर डालने को कहा है।
उमर ने कहा, लोगों के गुस्से को वह समझते हैं...
बाढ़ से तबाह कश्मीर घाटी में स्थिति को बहुत गंभीर करार देते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज कहा कि जबरदस्त तबाही से प्रभावित हुए लोगों के गुस्से को वह समझते हैं। उमर ने बाढ़ की त्रासदी से निपटने को लेकर उनकी सरकार की हो रही आलोचना को खारिज कर दिया और कहा कि उनके प्रशासन सहित विभिन्न एजेंसियों के संयुक्त प्रयासों से लोगों को इस संकट से निकालने की कोशिश की जा रही है।
राज्य में भारी बारिश की वजह से आई बाढ़ और भूस्खलन तथा मकान ढहने की घटनाओं में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। चार लाख लोग अभी भी फंसे हुए हैं। उमर ने मंगलवार को कहा था कि पिछले 109 वर्ष में इस बाढ़ से राज्य में सबसे बुरी तबाही आई है।
स्थिति से निपटने को लेकर राज्य सरकार की हो रही आलोचना के बारे में पूछे जाने पर उमर ने कहा, लोग नारे लगाने के लिए स्वतंत्र हैं, मुझे इससे कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि उन लोगों को बचाया गया है, उन्हें कहीं सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। उन्हें कहां रखा गया है, यह मेरी चिंता नहीं है। उमर ने कहा, मैं (लोगों) का गुस्सा समझता हूं। मैं उनसे नाखुश नहीं हूं। वे मुश्किल वक्त से गुजर रहे हैं। लेकिन उनपर लापरवाही के आरोप पर उमर बोले, बारिश उन्हें पूछ कर नहीं आती है और न वह चाहें तो बारिश को रोक सकते हैं।