बलवंत तक्षक
चंडीगढ़। पंजाब में भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन के लिए मंथन शुरु कर दिया है। अकाली दल के साथ गठबंधन के तहत भाजपा को राज्य की 117 सीटों में से केवल 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने हैं। एक सीट पर भाजपा ने तीन-तीन नाम मांगे हैं। संभावित उम्मीदवारों के नाम पहले, दूसरे और तीसरी प्राथमिकता के आधार पर मांगे गए हैं। पंजाब में विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी में होने हैं। उम्मीद है कि भाजपा जनवरी के पहले हफ्ते तक अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर देगी। पार्टी के चुनाव प्रभारी नरेंद्र सिंह तोमर इन दिनों पंजाब के दौरे पर हैं और उम्मीदवारों के संबंध में पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक हासिल कर रहे हैं।
अकाली-भाजपा गठबंधन पिछले दस साल से पंजाब में सत्ता में है। ऐसे में भाजपा उम्मीदवारों को सत्ता विरोधी रुख का सामना करना पड़ेगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता देख रहे हैं कि शहरी क्षेत्रों में कांग्रेस सीट पर किस उम्मीदवार को मैदान में उतारती है। इसी के हिसाब से कांग्रेस से मुकाबले के लिए भाजपा अपने उम्मीदवारों का चयन करेगी। उम्मीदवारों के नामों पर सहमति बनाने और जमीनी स्तर पर असल स्थिति का पता लगाने की कोशिशों में जुटे चुनाव प्रभारी तोमर ने लुधियाना में नौ विधानसभा क्षेत्रों के नेताओं से बातचीत की। तोमर ने विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित प्रभारियों, सह प्रभारियों, जिला अध्यक्षों, मंडल अध्यक्षों और उन क्षेत्रों में रहने वाले पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों से अलग-अलग बैठकें कीं। इस सिलसिले में अब वे जालंधर और दूसरे जिलों का भी दौरा करेंगे।
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मौजूदा हालात को देखते हुए भाजपा कुछ सीटों पर अकाली दल से उम्मीदवारों
की अदला-बदली चाहती है, लेकिन इसके लिए अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष सुखबीर
सिंह बादल शायद ही तैयार हों। जूनियर बादल ज्यादातर सीटों पर अकाली
उम्मीदवारों का ऐलान कर चुके हैं। भाजपा के पास अबोहर सीट पर अभी तक कोई
मजबूत उम्मीदवार नहीं है। कांग्रेस यहां से विधानसभा में विपक्ष के नेता
रहे सुनील जाखड़ को मैदान में उतारेगी। पिछले चुनाव में भाजपा यहां तीसरे
स्थान पर रही थी। दसूहा सीट पर मौजूदा विधायक सुखजीत कौर की जगह अविनाश राय
खन्ना को मैदान में उतारे जाने की संभावना है। राजपुरा से भाजपा के विधायक
राज खुराना का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, उनकी जगह पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष
विजय सांपला के नजदीकी पूर्व चेयरमैन हरजीत सिंह ग्रेवाल को टिकट दिए जाने
की चर्चा है। दीनानगर सीट पर भी भाजपा को मजबूत उम्मीदवार की तलाश है।
भाजपा
छोड़ चुकी पूर्व संसदीय सचिव नवजोत कौर सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने
के बाद भाजपा की स्थिति यहां कमजोर मानी जा रही है। नवजोत कौर सिद्धू को
कांग्रेस की तरफ से टिकट मिलना तय है, ऐसे में भाजपा यहां सशक्त उम्मीदवार
ढूंढ़ रही है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमल शर्मा भी फिरोजपुर से
चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं, अभी कुछ साफ नहीं है। पूर्व विधायक सुखपाल सिंह
नन्नू और कमल शर्मा के बीच तालमेल नहीं है। ऐसे में भाजपा का विकेट यहां
कमजोर समऌाा जा रहा है। भाजपा को उम्मीदवारों के चयन के लिए अभी राज्य
चुनाव समिति की बैठक में इस मुद्दे पर विचार करना है कि कांग्रेस और आप के
मुकाबले किस चेहरे पर दांव लगाया जाए।
पंजाब में पार्टी के चुनाव प्रचार
को गति देने के इरादे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पंजाब का दौरा कर चुके हैं, बावजूद इसके भाजपा
अभी उम्मीदवारों के चयन के मंथन में उलझी है। इसी दौरान पार्टी ने यह भी तय
किया है कि 18 दिसंबर को दाना मंडी में युवा सम्मेलन, 20 दिसंबर को
पठानकोट में महिला सम्मेलन, 21 दिसंबर को जालंधर की भुटटा मंडी में
अनुसूचित जाति सम्मेलन, 23 दिसंबर को फाजिल्का में किसान सम्मेलन और 24
दिसंबर को मुकेरियां में अल्प संख्यक मोर्चा सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। यह
फैसला भी पार्टी के चुनाव प्रचार को गति देने के इरादे से ही किया गया है।
इसके साथ ही लोगों के राय मशविरे के बाद भाजपा अपना चुनाव घोषणा पत्र भी
जारी करेगी।
हाल ही सूफी गायक हंसराज हंस के कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में
शामिल होने के बाद यह चर्चाएं चल निकली हैं कि उन्हें नवजोत सिंह सिद्धू
की जगह राज्यसभा में भेजा जाएगा या विधानसभा का चुनाव लड़ाया जाएगा। पंजाब
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय सांपला का कहना है, हंस को चुनाव लड़ाना है
या नहीं, इस बारे में फैसला पार्टी आलाकमान को करना है। गौरतलब है कि हंस
पहले अकाली दल के टिकट पर जालंधर से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन वे
जीत नहीं पाये थे। अकाली दल में अपनी उपेक्षा के बाद हंस कांग्रेस में आ
गए। कांग्रेस ने जब शमशेर सिंह दूलों को राज्यसभा में भेज दिया तो हंस
भाजपा में आ गए। विधानसभा चुनावों में हंस भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार
करेंगे, लेकिन राज्यसभा में पहुंचने का उनका सपना आगे भी पूरा हो पाएगा या
नहीं, अभी कुछ कहना संभव नहीं है।
[@ कहीं सीनियर बादल मना रहे हैं, कहीं जूनियर बादल डरा रहे हैं]