पूर्व आदेश रद्द, क्रिमिनल केस से बरी भी हो तो फोर्स में नौकरी नहीं : हाईकोर्ट

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 16 दिसम्बर 2016, 11:57 AM (IST)

इलाहाबाद हाईकोर्ट के एकल जज के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें क्रिमिनल केस होने पर भी पुलिस फोर्स नौकरी दिये जाने की बात कही गई थी। हाईकोर्ट के डबल जजों की बेंच ने आदेश दिया कि अगर क्रिमिनल केस से अभ्यर्थी बरी भी हो गया हो तब भी उसे पुलिस फोर्स में नौकरी नहीं दी जा सकती।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि डीएम चरित्र सत्यापन के दौरान क्रिमिनल केस पर नियमावली के अनुसार ही निर्णय ले । हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि भले ही कोई अभ्यर्थी आपराधिक मामले में कोर्ट से बरी हो गया हो फिर भी नियुक्ति प्राधिकारी उसके आपराधिक इतिहास व आचरण पर विचार कर उसके नियुक्ति को लेकर निर्णय ले सकता है।
कोर्ट ने हत्या के प्रयास के अपराध में न्यायालय से बरी दरोगा भर्ती में चयनित अभ्यर्थी को प्रशिक्षण पर भेजने के एकल जज के आदेश को रद्द कर दिया है। सरकार की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के दो जजों की खण्डपीठ ने आदेश दिया कि पुलिस भर्ती बोर्ड जिलाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर नये सिरे से याची को प्रशिक्षण पर भेजने को लेकर निर्णय ले।

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गौरतलब है कि अपील में एकल जज के उस आदेश को चुनौती दी गई थी। जिसके द्वारा 2011 दरोगा भर्ती में चयनित औरंगाबाद बुलंदशहर के विनय कुमार को प्रशिक्षण पर भेजने का अन्तरिम आदेश देते हुए जवाब मांगा गया था। याची हत्या के प्रयास के केस में गवाहों के पक्षद्रोही होने के कारण कोर्ट से बरी हो गया है। इस कारण एकल जज ने याची की याचिका पर उसे दरोगा भर्ती में चयनित होने के बाद प्रशिक्षण पर भेजने का आदेश दिया था। विशेष अपील पर बहस यह बात सामने आई की एकल पीठ ने याची को प्रशिक्षण में भेजने का निर्देश जारी कर 2011 की दरोगा भर्ती नियमावली के प्राविधानों का उल्लंधन किया है।
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जबकि नियमावली के तहत ही जिलाधिकारी द्वारा अभ्यर्थी का चरित्र सत्यापन होता है और रिपोर्ट पर विचार करने के बाद ही नियुक्ति प्राधिकारी उसे प्रशिक्षण पर भेजने का निर्णय लेता है। न्यायालय में यह तथ्य भी सामने आया कि एकल जज ने इस नियमावली को दरकिनार कर सीधे प्रशिक्षण पर भेजने का आदेश जारी कर विधिक भूल की है। वहीं याची के पक्ष से सरकार की याचिका की पोषणीय न मंजूर करने की वकालत हुई ।
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न्यायालय ने एकल जज के आदेश को रद्द कर दिया है । अब नियुक्ति प्राधिकारी चरित्र सत्यापन रिपोर्ट पर विचार कर नये सिरे से आदेश पारित कर सकेंगे ।
यह आदेश न्यायमूर्ति वी.के.शुक्ला तथा न्यायमूर्ति एम.सी.त्रिपाठी की खण्डपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।
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