Beas Tragedy : अब तक सबक नहीं सीख पाया Himachal

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 15 जून 2014, 08:51 AM (IST)

शिमला। ब्यास नदी के तेज बहाव में बह गए हैदराबाद के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के 24 छात्रों में से अधिकांश के शव अभी तक नहीं मिल सके हैं। लेकिन ऎसा लगता है कि देश-दुनिया में चर्चा का विषय बन चुकी इस त्रासदी से हिमाचल प्रदेश ने कुछ भी सबक नहीं सीखा है। छुियों में जिस हिमाचल प्रदेश की पहाडियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करतीं है वह सुरक्षा और संरक्षा के व्यापक प्रबंध के अभाव में नाजुक बना हुआ है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सतलज, ब्यास, यमुना, चेनाब और रावी नदियों और उनकी सहायक धाराओं का एक बडा हिस्सा प्रदेश और राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ-साथ बहती हैं। इन मार्गो पर पर्यटकों के साथ गंभीर किस्म के हादसे अक्सर होते रहते हैं। लेकिन राज्य के पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटकों को खतरे के बारे में शिक्षित करने के लिए अभी भी खतरे की चेतावनी देने वाले संकेत या कोई अभियान शुरू नहीं किया गया है।

रविवार की दुर्घटना के अलावा पुलिस का आंकडा इस बात की गवाही देता है कि हर वर्ष अकेले मनाली के आसपास होने वाली दुर्घटनाओं में पांच से छह पर्यटकों की मौत हो जाती है। फिसलने से मामूली रूप से जख्मी हो जाने जैसी घटनाएं तो अक्सर होती रहती हैं और इसका कोई आंकडा भी नहीं होता। मनाली में प्रमुख टूर आपरेटर एम सी ठाकुर ने कहा, अक्सर पर्यटक, खास तौर से मैदान से आने वाले स्थानीय भूगोल से वाकिफ नहीं होते। वे झरनों, जलधाराओं या नदियों के अविरल प्रवाह की ओर आकर्षित होते हैं। इस बात से अनजान लोग कि अचानक आने वाली तेज धारा उन्हें सेकेंडों में कहां से कहां बहला ले जाएगी, पानी में उतर जाते हैं।

उन्होंने बताया कि पर्यटकों के साथ होने वाली दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में सबसे ज्यादा भुंतर और मनाली के बीच 50 किलोमीटर और भुंतर एवं मणिकरन के बीच 65 किलोमीटर के प्रसार में घटती हैं। दोनों ही विस्तार कुल्लू-मनाली क्षेत्र में पडता है और यही पसंदीदा पर्यटक स्थल भी है। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, हमने पाया है कि अक्सर पर्यटकों को ट्रेवल एजेंट तस्वीरें दिखाकर यह लालच देते हैं कि प्रकृति के बीच रहने का यही सबसे उपयुक्त जगह है। ऎसा करते हुए वे पर्यटकों के जोखिम को नजरअंदाज कर जाते हैं। उन्होंने एक मामले का उदाहरण दिया जिसमें 200 से ज्यादा पर्यटक जिनमें अधिकांश पश्चिम बंगाल से आए थे, मनोहारी सांगला घाटी में पिछले वर्ष जून में तब एक पखवाडे से भी ज्यादा समय तक फंसे रह गए जब तूफानी बारिश के कारण किन्नौर जिले की अधिकांश सडकें बंद हो गई थीं।

अधिकारी ने बताया कि फंसने के बाद पर्यटकों ने शिमला और कोलकाता दोनों ही जगह मुख्यमंत्री कार्यालय को त्राहिमाम संदेश दिया और अंतत: उन्हें हवाई मार्ग से वहां से निकाला गया। हिमाचल प्रदेश अपने स्वादिष्ट सेब, एक विश्व विरासत की सूची में शामिल रेलवे और बहुरंगी पर्यटक स्थलों के लिए जाना जाता है। राज्य के पर्यटन विभाग के मुताबिक वर्ष 2012-13 के दौरान 1.61 करोड पर्यटक राज्य में आए जिनमें से 497,850 विदेशी पर्यटक थे। प्रदेश में इस समय 2,769 होटल हैं जिनमें 61,497 बिस्तरों की क्षमता है।