गीता के एक श्लोक में कहा गया है
विष्णुरेकादशी गीता तुलसी विप्रधेनव:।
असारे दुर्गसंसारे षट्पदी मुक्तिदायिनी।।
यानी जीवन में अगर 4 चुनींदा नियमों का अनुसरण किया जाए तो बुरे दिनों को भी अच्छों में बदला जा सकता है-
श्री हरि का सुमिरन करना-
बुरे
दिनों को अच्छों में बदलने का सबसे बडा सूत्र है भगवान श्री हरि का पूजन
और ध्याेन करना। भगवान विष्णु परमात्मा के तीन स्वरूपों में से एक जगत के
पालक माने गए हैं। श्रीहरि ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि और शांति के स्वामी भी
हैं। विष्णु अवतारों की पूजा करने पर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष, सब कुछ
प्राप्त हो सकता है।
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गीता का पाठ करना-
मान्यता है कि श्रीमद् भागवत
गीता भगवान श्रीकृष्ण का ही साक्षात् ज्ञानस्वरूप है। जो लोग नियमित रूप से
गीता का या गीता के श्लोकों का पाठ करते हैं, वे भगवान की कृपा प्राप्त
करते हैं। गीता पाठ के साथ ही इस ग्रंथ में दी गई शिक्षाओं का पालन भी
दैनिक जीवन में करना चाहिए। जो भी शुभ काम करें, भगवान का ध्यान करते हुए
करें, सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
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तुलसी की देखभाल करना-
घर
में तुलसी होना शुभ और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, ये बात विज्ञान
भी मान चुका है। तुलसी की महक से वातावरण के सूक्ष्म हानिकारक कीटाणु नष्ट
हो जाते हैं। घर के आसपास की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक
ऊर्जा बढ़ती है। साथ ही, तुलसी की देखभाल करने और पूजन करने से देवी
लक्ष्मी सहित सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
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गौ माता की सेवा करना-
इस
श्लोक में गौ यानी गाय का भी महत्व बताया गया है। जिन घरों में गाय होती
है, वहां सभी देवी-देवता वास करते हैं। गाय से प्राप्त होने वाले दूध,
मूत्र और गोबर पवित्र और स्वास्थ्यवर्धक हैं। ये बात विज्ञान भी स्वीकार कर
चुका है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से केंसर जैसी गंभीर बीमारी में भी
राहत मिल सकती है। यदि गाय का पालन नहीं कर सकते हैं तो किसी गौशाला में
अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार धन का दान किया जा सकता है।
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