नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को जस्टिस लोढा समिति की याचिका पर
सुनवाई नौ दिसम्बर तक टाल दी है। समिति ने इसके अलावा बीसीसीआई में बतौर
पर्यवेक्षक पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई की नियुक्ति की भी सिफारिश की। इसके
साथ ही समिति ने पिल्लई को लेखा परीक्षक नियुक्त करने, बीसीसीआई प्रशासन
का मार्गदर्शन करने, खासकर निविदाएं आवंटित करने और पारदर्शिता बनाए रखने
का अधिकार प्रदान करने के लिए भी कहा।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की पीठ ने लोढा पैनल द्वारा
दायर तीसरीे स्टेटस रिपोर्ट पर सुनवाई टाल दी। इस सुनवाई को मुख्य जस्टिस
टीएस ठाकुर के अस्वस्थ रहने के कारण टाला किया, जो इस पीठ के अध्यक्ष हैं।
अदालत में 21 नवम्बर को दायर की गई यथास्थिति रिपोर्ट में समिति ने पिल्लई
को पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त करने का सुझाव दिया।
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इसके साथ ही उन्हें
एक लेखा परिक्षक की नियुक्ति, बीसीसीआई प्रशासन के गाइड की नियुक्ति की
ताकत देने के लिए भी कहा।
समिति ने अपनी यथास्थिति रिपोर्ट में बीसीसीआई के अधिकारियों द्वारा लगातार
सिफारिशों को न मानने का भी जिक्र किया है।
अदालत को पेश की गई अपनी
याचिका में लोढा समिति ने कहा, बीसीसीआई और उसके राज्य संघों के
पदाधिकारियों को पैरा-4 में मानदंडों के आधार पर सीधे तौर पर अयोग्य घोषित
किया गया था, लेकिन इसके बाद भी वे सभी नियमित रूप से कार्यालय जा रहे हैं।
पैरा-4 में वर्णित आदेश के अनुसार, 70 वर्ष से अधिक आयु के, मंत्री पद या
किसी सरकारी पद पर नियुक्त, किसी भी खेल इकाई में पदस्थ तथा लगातार नौ वर्ष
से बीसीसीआई में नियुक्त या अदालत द्वारा किसी आपराधिक मामले में
संलिप्तता का आरोपी व्यक्ति बीसीसीआई के पद के अयोग्य होगा।
(आईएएनएस)
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