अवैध रूप से आ रही बजरी, पुलिस-प्रशासन मौन

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 28 नवम्बर 2016, 11:31 AM (IST)

पाली। जैतारण उपखंड एवं आसपास के गांवों में इन दिनों हो रहे निर्माण कार्यों में उपयोग हो रही बजरी अवैध रूप से यहां पहुंच रही है। यहां तक कि सरकारी निर्माण कार्यों में भी इस बजरी का उपयोग किया जा रहा है। बजरी के अवैध खनन व परिवहन से राजस्व को नुकसान पहुंच रहा है, लेकिन इनके खिलाफ न तो सख्त कार्रवाई हो रही है और न ही अवैध खनन पर अंकुश लग पा रहा है। हालांकि खनिज विभाग ने हाल ही में कुछ वाहनों पर कार्रवाई भी की है लेकिन, यह ऊंट के मुंह में जीरा ही है। ठोस कार्रवाई नहीं होने से जैतारण उपखंड के बांजकुड़ी, बिरोल और लूणी नदी जैसी दर्जनों जगहों पर दिनभर बजरी वाहन पार हो रहे हैं। उपखंड में बजरी के ठेके पूर्व में हो चुके हैं। विभागीय अनदेखी से पिछले काफी दिनों से उपखंड के नदी-नालों का अवैध रूप से दोहन किया जा रहा है। विभागीय अनदेखी के कारण राजकोष को नुकसान बताया जा रहा है। ऐसे में वाहन चालक मनमर्जी के बजरी उठा रहे है। नदी-नालों से प्रतिदिन कई टन बजरी उठ रही है लेकिन, निगरानी के प्रबंध नहीं है। जिससे ठेकेदारों के मजे हो रहे हैं वहीं, राजकोष को भारी हानि हो रही है। इसके बावजूद विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। अभी तक न तो ठेकेदार के विरुद्ध कोई कार्रवाई हुई है और न ही खनन माफिया पर। इसके कारण उपखंड एवं आसपास के गांवों में चल रहे निजी व सरकारी निर्माण कार्यों पर अवैध रूप से काम में आ रही बजरी पर किसी का ध्यान नहीं है। बजरी के न तो दाम चुकाए जा रहे हैं न ही रॉयल्टी। सरकारी भवनों का निर्माण करने वाले ठेकेदार भी कम दामों में बजरी लेने के चक्कर में चुप्पी साधे रहते हैं। इससे बजरी माफिया को शह मिल रही है। नियमानुसार नदी-नालों में खनन के लिए लीजधारक ही अधिकृत हंै। ऐसे में ठेकेदार के अलावा खनन अवैध ही है। बगैर रवन्ना परिवहन भी अवैध की श्रेणी में आता है।

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