जोधपुर। अब पुष्यनक्षत्र पर आपके बच्चों को पिलाई गई आयुर्वेदिक ड्रॉप उन्हें विलक्षण और प्रतिभावान बनाएगी। साथ ही बच्चों की रचनात्मक और क्रियात्मक विकृतियों को दूर करेगी। इनका प्रयोग न केवल मंदबुद्धि बच्चों बल्कि गर्भ के अंदर अपरिपक्व शिशु के विकास के लिए भी किया जा सकेगा। यानी अनेक माताएं जिनके शिशु का मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है और वे शिशु को जन्म नहीं दे पाती, उनके लिए भी यह ड्रॉप लाभदायक साबित होगी। अभी तक दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में प्रचलित इस पद्धति को आयुर्वेद विवि ने स्वर्णप्राशन संस्कार के माध्यम से शुरू किया है। गर्भाधान के समय माताओं को यह औषधि पाउडर के रूप में दी जाएगी, वहीं 10 वर्ष की आयु के बच्चों को यह औषधि ड्रॉप से दी जाएगी। आयुर्वेद विवि के बाल विभाग के अध्यक्ष डॉ. पीपी व्यास ने बताया कि स्वर्ण भस्म शरीर के प्रत्येक टिशु में प्रवेश कर वहां के असंतुलन या विकृति को सही करती है। यह ड्रॉप पुष्य-नक्षत्र पर पिलाई जाए, तो इसके विशेष चमत्कार देखने को मिलते हैं, क्योंकि इस दिन ग्रहों की शक्तियां ज्यादा होती हैं। पुष्य नक्षत्र हर महीने में एक बार आता है, इसलिए पुष्य नक्षत्र पर बच्चों को लगातार 5 से 7 साल तक यह ड्रॉप पिलाने से शरीर के अंग-प्रत्यंग की शक्ति और क्षमताओं की वृद्धि करती है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है। आयुर्वेद विवि में अगले माह यह दवा पुष्य नक्षत्र यानी 17 दिसम्बर को पिलाई जाएगी।
क्या है स्वर्णप्राशन ड्रॉप
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शहद और घी में स्वर्ण भस्म को मिलाकर यह ड्रॉप तैयार की गई है। साथ ही
इसमें कुछ टॉनिक मिलाए गए हैं, जो मेधा शक्ति को बढ़ाते हैं। शोध के अनुसार
मस्तिष्क और आंखों के विकास में स्वर्णप्राशन का विशेष महत्व है। आधुनिक
शोध रिसर्च के अनुसार घी में विद्यमान डीएचए और ओमेगा थ्री फेट्टी एसिड
डवलपिंग ब्रेन और रेटिनल टिशु के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
साथ ही शहद और घी शरीर में रोगाणुओं से लडऩे के लिए शरीर में एंटीबॉडीज की
प्रक्रिया को उत्प्रेरित करते हैं।
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