नई दिल्ली। नोटबंदी के खिलाफ भारत बंद के आह्वान पर पीएम मोदी के हमले से
विपक्ष खासकर कांग्रेस ने सफाई दी है। कांग्रेस ने साफ किया कि उसने कल
भारत बंद का आह्वान नहीं किया है, लेकिन नोटबंदी के मुद्दे पर पूरे देश में
विरोध प्रदर्शन करेगी। पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार का यह फैसला
राजनीतिक कदम है जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई के रूप में भुनाया जा रहा
है।
पार्टी नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धमाका राजनीति
में भरोसा रखते हैं और बडे नोटों को बंद करने का फैसला इसलिए लिया गया
क्योंकि उन्हें उत्तर प्रदेश में कुछ संभावनाएं दिखाई दीं जहां अगले साल
चुनाव होने हैं। उन्होंने दावा किया कि विदेशों में जमा कालेधन को वापस
लाने के प्रधानमंत्री के बडे चुनावी वादे को पूरा करने में सरकार की नाकामी
को ढकने के लिए 1000 और 500 रूपये के नोटों को बंद किया गया था और मोदी
कुछ नाटकीय करना चाहते थे।
दरअसल भारत बंद का जेडीयू को छोड तमाम पार्टियों ने समर्थन किया है।
कांग्रेस, सपा, बसपा, टीएमसी, सीपीएम, सीपीआई, एनसीपी और आरजेडी ने खुलकर
नोटबंदी के खिलाफ 28 नवंबर को आक्रोश दिवस के रूप में मनाने का संकेत दिया
है। ममता बनर्जी लगातार नोटबंदी के फैसले के लिए आवाज उठा रही हैं।
ममता की अगुवाई में इस मुहिम में करीब एक दर्जन पार्टियां शामिल हैं, भारत
बंद का आइडिया पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने दिया है। 28 नवंबर को
भारत बंद के साथ ही विपक्ष आक्रोश दिवस भी मनाएगा। इसके तहत 28 नवंबर को
सभी राज्यों में धरने प्रदर्शन होंगे जबकि लेफ्ट पार्टियां पूरे 24 से 30
नवंबर तक प्रदर्शन करेंगी।
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कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह एक राजनीतिक
कदम है जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई के रूप में बेचा जा रहा है। रमेश ने
कहा कि अवैध तरीकों से धन जमा करने वाले लोगों को परेशानी नहीं हो रही है
लेकिन उन लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड रहा है जिनके पास कालाधन
नहीं है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से जिन लोगों पर हमले की जरूरत थी, वे
बचकर निकल गये।
रमेश के मुताबिक सूट-बूट वाले लोगों का एक वर्ग अब भी
विलासिता की जिंदगी जी रहा है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश ने दावा किया कि भाजपा यह गलत जानकारी फैला रही
है कि कांग्रेस और अन्य दलों ने भारत बंद का आह्वान किया है। उन्होंने कहा
कि विपक्षी दल कल जन आक्रोश दिवस मनाएंगे और देशभर में विरोध प्रदर्शन
करेंगे। मोदी सरकार को आडे हाथ लेते हुए रमेश ने कहा कि नौ नवंबर से आर्थिक
गतिविधियां ठहर गई हैं।
संसद में विपक्ष की रणनीति के सवाल पर उन्होंने
कहा कि अगर प्रधानमंत्री चर्चा में हिस्सा लेते हैं तो चर्चा होगी।
उन्होंने नये नोट लाने में सरकार की तैयारी पर भी सवाल उठाया और कहा कि
अनुमान के मुताबिक नये नोटों की छपाई में और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने
में 250 दिन लग सकते हैं। रमेश ने कैशलेस या लेसकैश समाज के प्रधानमंत्री
के आह्वान की भी आलोचना करते हुए कहा कि भारत में बडी संख्या में लोग दैनिक
लेनदेन में नकदी का इस्तेमाल करते हैं।
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उन्होंने कहा कि इस तरह की चीजों में वक्त लगता है और झटके देकर इनके लिए
मजबूर नहीं किया जा सकता। जब रमेश से पूछा गया कि कांग्रेस की सहयोगी जदयू
के नेता नीतीश कुमार नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन के समर्थन में क्यों नहीं
हैं तो उन्होंने कहा कि जदयू नेता शरद यादव इसका समर्थन कर रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी के विचार के पीछे पुणे का जो संगठन है, उसने
भी कहा है कि जिस तरीके से इसे लागू किया जा रहा है उस तरह का सुझाव उनका
नहीं था।
कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी इस कदम के मकसद के खिलाफ नहीं है और
कालेधन तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ कदमों का समर्थन करेगी लेकिन हालात की
हकीकत अलग है। उन्होंने कहा कि देश में केवल दो प्रतिशत लोग नकदी रहित
लेनदेन करते हैं। देश को पूरी तरह कैशलैस बनाने में थोडा समय लगेगा।
उन्होंने कहा कि साउंड बाइट्स पसंद करने वाले प्रधानमंत्री कैशलेस या
लेसकैश समाज की बात कर रहे हैं, क्या वे नकदी रहित मंडिया भी चाहते हैं।
रमेश ने एनआईए के अनुमानों के हवाले से कहा कि देश की कुल जारी मुद्रा में
केवल 0.02 प्रतिशत जाली नोट हैं। इसके लिए 80 प्रतिशत जनता को परेशान कर
दिया गया है जिनमें किसान, असंगठित और लघु उद्यम क्षेत्र हैं। प्रधानमंत्री
पर बडे दावे करने का आरोप लगाते हुए रमेश ने कहा कि एक कार्ययोजना तैयार
की जानी चाहिए और खामियों की पडताल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुमान है
कि केवल 5 से 10 प्रतिशत कालाधन नकदी में रखा जाता है, वहीं अधिकतर इसे
सोने, चांदी या बेनामी संपत्ति के रूप में अथवा विदेशों में रखा जाता है।
रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि न खाउंगा, न खाने दूंगा
लेकिन समझा जाता है कि तत्कालीन मोदी नीत गुजरात सरकार में मंत्री रहे सौरभ
पटेल का नाता बहामास की एक कंपनी से था, जहां कई कर चोर जाते हैं।
जेडीयू का किनारा...
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जदयू ने अपनी राष्ट्रीय के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के
नोटबंदी का समर्थन किए जाने पर निर्णय लिया है कि वह इसके विरोध में
विपक्ष के कल प्रस्तावित भारत बंद और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा आगामी 30 नवंबर को पटना दिए
जाने वाले धरना कार्यक्रम से अपने को अलग रखेगी।
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