कर्नाटक के मशहूर संगीतकार एम. बालामुरलीकृष्ण का आज 86 साल की उम्र में निधन हो गया है। बीते कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी और वह बीमार थे। एम. बालामुरलीकृष्ण देश के मशहूर और सम्मानित हस्तियों में से एक थे। उनका जन्म आंध्र प्रदेश के संकरागुप्तम में हुआ था और उन्होंने 6 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। 80 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले राष्ट्रीय एकता को समर्पित गीत ‘मिरे सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा’ में भी वे दिखे थे। इस गीत में उन्होंने तमिल भाषा की कुछ पंक्तियां गायीं थीं। उन्होंने चार दशकों तक अपने संगीत से श्रोताओं को लुभाया। परिवारिक सूत्रों के अनुसार वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने अपने घर पर अपनी अंतिम सांसें लीं।
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एम. बालामुरलीकृष्ण कर्नाटक वाद्य संगीत, वॉयला और वायलिन बजाने में बेजोड़
थे। उनका संगीत के क्षेत्र अहम योगदान रहा है। इसके अलावा एम.
बालामुरलीकृष्ण 15 साल की उम्र से ही नियमित रूप से कॉन्सर्ट में परफॉर्म
करने लगे थे। एम. बालामुरलीकृष्ण का संगीत के क्षेत्र में अहम योगदान रहा
है जिसके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।
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इसके अलावा उन्हें कई
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया था और वह भारत के
तीनों पद्म पुरस्कार- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री से भी सम्मानित
किया गया था।
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