अमरीष मनीष शुक्ला, इलाहाबाद। भारतीय स्वाधीनता संघर्ष की एक ऐतिहासिक जीती जागती धरोहर, ब्रिटिश शासन के विरोध रणनीति
का प्रमुख स्थल, कांग्रेस
के अधिवेशनों एवं राष्ट्रीय नेताओं के अनेक सम्मेलनों का इतिहास, राजनैतिक विचार विमर्श का
केन्द्र, व्यक्तियों
की राजनीति का केन्द्र, इलाहाबाद
का आनन्द भवन अर्थात स्वराज भवन। जहां आजादी की अलख जगती थी। यहीं से जवाहरलाल
नेहरू, इंदिरा गांधी, खान अब्दुल खाँ, जे बी कृपलानी, लाल बहादुर शास्त्री, राम मनोहर लोहिया और फिरोज गाँधी जैसे नेता
जिन्होंने न सिर्फ स्वाधीनता संघर्ष मे अपितु स्वाधीन भारत की राजनीति को नया मोड़
दिया था।
1920 में आल इंडिया खिलाफत की रणनीति इसी भवन में बनायी गयी। भारत का
संविधान लिखने के लिये चुनी गयी आल पार्टी का सम्मेलन भी इसी स्वाराज भवन में हुआ
था। एक बार फिर उसी भवन में इतिहास के पन्ने पलटे जा रहे हैं।
शायद इतिहास खुद को
दोहराने का सशक्त प्रयास कर रहा है। कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय रहा
इलाहाबाद का यह आनंद भवन बरसों बाद आज नेहरू गांधी वंशजों की उपस्थिति में फिर से
एक क्रांति की तलाश कर रहा है ।
राहुल गांधी से शादी करने पर अड़ी कांग्रेसी युवती...फिर क्या हुआ पढ़ें पूरी खबर
कांग्रेस की सिमटती ताकत और लोकप्रियता को वापस लाने के लिए फिर
आनंद भवन के उन्हीं कमरों में क्रांति की अलख जगाने का प्रयास किया जा रहा है ।
महात्मा गाँधी जब कभी इलाहाबाद आते थे तो यहीं रहते थे। ऐसे में इलाहाबाद में गांधी परिवार का रात्रि निवास का कोई
साधारण मतलब निकाला भी नहीं जा सकता। वह भी तब जब कांग्रेस के आला दर्जे के नेता
और पूरा गांधी परिवार एक छत के नीचे मौजूद हो। वैसे भी इतिहास गवाह है जब जब
कांग्रेस की कड़ियां कमजोर हुई हैं। इलाहाबाद ने ही उसे मजबूती दी हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार बन
जाना सिर्फ राजनीति का अंश नहीं हैं।
नोटबंदी पर मोदी ने जनता से मांगी दस सवालों पर राय
कांग्रेस की बिखरती राजनीति और नेहरू गांधी परिवार के
खत्म होते तिलिस्म का साक्षात
प्रमाण था। ऐसे में कांग्रेस का अपने मूल में लौटना स्वाभाविक है। हो सकता हैं कल
कांग्रेस प्रियंका गांधी को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा कर दे और उससे भी बड़ा
फैसला यह भी हो सकता है कि प्रियंका इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा की ही सीट से अगला
लोकसभा चुनाव भी लड़े। जिसने देश को पहला प्रधानमंत्री दिया था। लोगों को आश्चर्य
भी नहीं होना चाहिए क्योंकि इंदिरा की झलक लोग प्रियंका में देखते हैं और आयरन
लेडी ने राजनीति के सारे माप दण्ड ध्वस्त कर दिये थे यह किसी से छिपा नहीं हैं । फिलहाल रात के अंधेरे में कांग्रेस
की हाईलेवल मीटिंग हुई । जो उन्हे 36 साल बाद यूपी में वापस आने का
विकल्प दे सके ।
नोटबंदी: नई-पुरानी करेंसी पर गजल और गीत, वायरल हुए जुमले
आनंद भवन में कांग्रेस के द्वितीय व तृतीय पंक्ति के नेताओ को
इंट्री न देकर यह संदेश भी दिया जा रहा है कि यहां की प्लानिंग बहुत बड़ी है और उसे
लीक नहीं किया जा सकता । स्वराज भवन में राजीव शुक्ला आयोजन का पूरा जिम्मा रेख रहे थे। राज
बब्बर, शीला
दीक्षित, गुलाम
नबी आजाद व पीएल पुनिया समेत 35- 40 के करीब आला पदाधिकारी बैठक में शामिल
हैं। प्रियंका ब्रिगेड सुबह से ही स्वराज भवन के पास डटा है लेकिन उन्हें भी
स्वराज भवन में नहीं घुसने दिया गया। उनके अलावा यूथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बाबा
तिवारी, यूपी
कांग्रेस महासचिव मुकुन्द तिवारी, कांग्रेस के पोस्टर ब्वाय हसीब अहमद और श्रीष चन्द्र के
अलावा पूर्व प्रत्याशी आंशुमान पटेल समेत नेताओं को स्वराज भवन में जाने का पास
नहीं दिया गया। यह सब स्पष्ट संकेत है कि इलाहाबाद की अगली सुबह कांग्रेस के लिए
नया सवेरा लेकर आयेगी ।
राहुल गांधी से शादी करने पर अड़ी कांग्रेसी युवती...फिर क्या हुआ पढ़ें पूरी खबर