अब सिर्फ मुखबिरी के भरोसे मानवता, ठोस कार्रवाई का अभाव

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 22 नवम्बर 2016, 1:36 PM (IST)

बाड़मेर। देश भर में कन्या भ्रूण हत्या पर बहस बरसों से जारी है। इस पर कई योजनाओं को धरातल पर उतारा गया है लेकिन, योजनाएं और पहल धरातल पर उतरने पर न जाने क्यों धीमी सी पड़ जाती है। अब आलम यह है कि मानवता को शर्मसार करने वाले इस मामले पर सरकार को मुखबिरी के ही भरोसे रहना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबित प्रदेश में बेटी बचाओ अभियान के तहत क्रियान्वित भ्रूण जांच प्रतिषेध अधिनियम (पीसीपीएनडी) 1994 की कार्रवाई को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। इसके लिए सीमावर्ती जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में मुखबिर तंत्र विकसित किए जाएंगे। इन क्षेत्रों की आशा सहयोनियों, सक्रिय जनसेवकों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को भ्रूण लिंग जांच के घृणित कार्य में लिप्त दलालों एवं भ्रूण लिंग जांच कराने के प्रयासशील लोगों की सूचना के लिए मुखबिर बनाया जाएगा। समुचित प्राधिकारी अधिकारी पीसीपीएनडीटी एवं मिशन निदेशक एनएचएम नवीन जैन ने बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट की पालना में टोल फ्री नम्बर 104 एवं 108 पर विभिन्न मुखबिरों से प्राप्त सूचना के आधार पर 15 डिकॉय ऑपरेशन कर भू्रण लिंग जांच को अंजाम देने वालों दलालों एवं चिकित्सकों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि बांसवाड़ा, डूंगरपुर, जालौर, सिरोही, राजसमंद, उदयपुर, प्रतापगढ़, बाड़मेर एवं पाली जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में मुखबिर तंत्र विकसित किए जाएंगे। साथ ही पड़ोसी राज्यों में भ्रूण लिंग जांच में लिप्त संदिग्धों पर निगरानी रखी जाएगी। जैन ने विशेषकर गांवों में मुखबिर नेटवर्क तैयार करने, युवाओं-कर्मचारियों को मुखबिरी के लिए प्रोत्साहित करने, बेटियों के प्रति अनुकूल वातावरण विकसित करने एवं गांव से बाहर इलाज के नाम पर जाने वाली प्रत्येक गर्भवती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी स्थानीय स्तर पर एकत्र करने इत्यादि की आवश्यकता जताई। उन्होंने बताया कि विशेषकर पड़ोसी राज्यों में प्रसूताओं को उपचार के लिए लेकर जाने वाले निजी टैक्सी एवं एम्बुलेंस चालकों की गतिविधियों पर निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।


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