नई दिल्ली। जेएनयू के प्रॉक्टर की जांच में एबीवीपी कार्यकर्ता विक्रांत
कुमार विश्वविद्यालय परिसर में हुए एक हंगामे के दौरान नजीब अहमद पर हमला
करने के दोषी पाए गए हैं। इस घटना के बाद नजीब एक महीने से लापता है।
यूपी के बदायूं का रहने वाला 27 वर्षीय नजीब जेएनयू में स्कूल ऑफ
बायोटेक्नोलॉजी का छात्र है और वह विश्वविद्यालय परिसर में विक्रांत सहित
एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के साथ हुई कथित हाथापाई के एक दिन बाद यानी 15
अक्टूबर से लापता है।
जेएनयू ने घटना के संबंध में प्रॉक्टर की निगरानी में
जांच के आदेश दिए थे।
एक आधिकारिक आदेश के अनुसार प्रॉक्टर की जांच में विक्रांत कुमार को 14
अक्टूबर को आक्रामक व्यवहार के साथ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए
नजीब अहमद पर हमला करते पाया गया। यह अनुशासनहीनता और दुराचार है। विक्रांत
से यह पूछा गया है कि आखिर क्यों उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं
करनी चाहिए।
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एबीवीपी ने विक्रांत का समर्थन करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन पर जांच के
दौरान पक्षपात करने का आरोप लगाया। एबीवीपी सदस्य और जेएनयूएसयू के पूर्व
सदस्य सौरभ शर्मा ने कहा,इस मामले में प्रॉक्टर ने उन छात्रों के बयान लिए
हैं, जो वहां मौजूद ही नहीं थे। ना केवल यह जांच पक्षपातपूर्ण है, बल्कि
प्रशासन ने वाम बहुल छात्रसंघ का साथ दिया है।
लापता नजीब को ढूंढने में विश्वविद्यालय प्रशासन और दिल्ली पुलिस की नाकामी
के खिलाफ जेएनयू छात्र एवं शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं।
केंद्रीय
गृहमंत्री राजनाथ सिंह के दिल्ली पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा को दिए गए
निर्देश पर लापता छात्र को ढूंढने के लिए पिछले महीने एक एसआईटी गठित की गई
थी। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त-द्वितीय (दक्षिण) मनीषी चंद्र के नेतृत्व में
एसआईटी मामले में कार्रवाई योग्य कोई सुराग पाने में नाकाम रही थी, जिसके
बाद मामला दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को भेज दिया गया।
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