बस्ती: जिला में भी नोटबंदी का असर अब धीरे-धीरे
किसानों पर भी पड़ता नज़र आ रहा है। बैंकों पर भारी भीड़ की वजह से लोगों
को ज़रूरत के हिसाब से पैसा नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण
क्षेत्रों में बैंको की कमी की वजह से
किसानों को नोट बदलने में काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। समय से किसान
खाद और बीज नहीं ख़रीद पा रहे हैं, जिसकी वजह से खेती पिछड़ रही है। वही किसानों का
बुरा हाल है रबी की बुआई के लिए बहुत से किसान पुरानी 500 और 1000 की नोट ले कर
एफसीआई खाद ख़रीदने के लिए जाते हैं, जहां पर पुरानी नोट न लेकर उन्हें वापस
भेज दिया जाता है।
वहीं कुछ किसानों का कहना है की खेती तो
प्रभावित हो रही है, लेकिन जो भी थोड़ा बहुत पैसा बदल पा रहा है उसी
से काम चलाया जा रहा है। वहीं एफसीआई मण्डी परिसर के सहायक प्रबंधक यूके
श्रीवास्तव का कहना है की पिछले साल के सापेक्ष इस साल खाद की खरीद बहुत कम है।
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इस साल सिर्फ 20 फीसदी खाद की ही अब तक खरीद
हुई है। वहीं
एफ़सीआई में चेक से खाद देने का प्रावधान नहीं है। जिसकी वजह से किसान डायरेक्ट चेक
दे कर भी खाद नहीं ख़रीद सकता। चेक से खाद ख़रीदने
के लिए किसान को बैंक मैनेजर से चेक पर दस्तखत करवानी पड़ेगी और जब चेक क्लियर
होगा तब एफसीआई किसान को खाद देगी।
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ऐसे में आप अंदाज़ा लगा सकते हैं की गांव में
रहने वाला किसान कितनी मुश्किल में है। वही शादी विवाह के लिए पैसा न होने वजह से
कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। वहीं खाद लेने आये रामधनी किसान ने बताया कि इस
दौरान 500 और 1000 का नोट बन्द होने से खाद बिज लेने के लिए रुपया नही हो पा रहा
है जुताई भी नहीं हो पा रही जिससे गेहूं की बुआई में दिक्कत हो रहा है।
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किसान राम उजागिर ने कहा खाद लेने आया था लेकिन
यहाँ पर पांच सौ और एक हजार की नोट नहीं ले रहे हैं। बतया की गोदाम प्रभारी ने कहा
कि सभी जगह के लिए आदेश है लेकिन हमारे यहां इन नोटों लेने का आदेश नहीं है। चेक
लेना लेकिन उसपर जब तक बैंक का मैनेजर दस्तखत नहीं करेगा तब तक हम नहीं ले सकते। किसानों
का कहना है कि हम लोगों के लिए बहुत समस्या हो गई है। सरकार को नोट की व्यवस्था
करनी चाहिए।
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