जीवनभर की बचत पर नोटबंदी से लगी चपत

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 16 नवम्बर 2016, 08:05 AM (IST)

जोधपुर। जिले के देणोक गांव के बरसिगों का बास निवासी कालूराम प्रजापत को पता ही नहीं चला की उसकी अंटी में पड़े वर्ष 1991-92 में आरबीआई के जारी पांच सौ रुपए के नोट कब के बंद हो गए। जब कालूराम अपनी जीवनभर की बचत की पूंजी लेकर कस्बे में संचालित मरुधरा ग्रामीण बैंक में गया तो, वहां लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गया। पांच सौ रुपए के सात नोट देखने में काफी साल पुराने तथा आरबीआई के तत्कालीन गर्वनर एस. वेंकटरमन (1990-1992) के समय जारी हुए थे। इन नोटों के चलन पर पहले से रोक लगी थी। इसलिए बैंक कर्मचारियों ने इन नोट लेने से इनकार कर दिया। बैंककर्मियों ने कालूराम को आरबीआई की किसी शाखा में जमा कराने का जवाब देकर रवाना किया। थका-हारा बैंक से बाहर निकला कालूराम इस बात को समझ ही नहीं पाया कि क्यों उसकी गाढ़ी कमाई से बचाया हुआ बचत का पैसा अब उसके काम का ही नहीं रहा।



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