कई बैंकों ने नहीं बदले पुराने नोट, बंद एटीएम ने बढ़ाई परेशानी

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 11 नवम्बर 2016, 5:19 PM (IST)

हनुमानगढ़। पांच सौ एवं एक हजार के नोट अमान्य किए जाने से हैरान-परेशान भटनेर नगरी हनुमानगढ़ के वाशिंदों का शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन भी बैंक शाखाओं में जमावड़ा लगा रहा। ग्राहक दिन उगते ही नोट बदलवाने के लिए विभिन्न बैंकों की शाखाओं के बाहर लाइन लगाकर खड़े हो गए। कई जगहों पर बैंक बाद में खुले और लोग पहले 500 व 1000 के 4000 रुपए मूल्य के नोट लेकर वहां जुट गए। उधर, शुक्रवार को कई बैंकों पर नोट न बदले जाने की शिकायतें भी सामने आईं। जंक्शन में सूरतगढ़ मार्ग पर स्थित आईसीआईसीआई बैंक शाखा में नोट बदलवाने पहुंचे कुछ ग्राहकों ने इसकी शिकायत की। जब मीडियाकर्मियों ने शाखा प्रबन्धक से बात की तो उन्होंने इस बात से इनकार करते हुए कहा कि शाखा में पुराने नोट बदले जा रहे हैं। इसके बाद उक्त बैंक के शाखा प्रबन्धक ने बंद पड़ा एटीएम भी खुलवा दिया। उधर, 500 व 1000 के नोट बंद करने के बाद शुक्रवार को भी जिलेभर में हर तरफ 100 व 50 के नोटों की मांग रही। हर कोई पांच सौ व एक हजार के नोटों को खफाकर 1 से सौ रुपए तक के नोटों के लिए जुगत लगाता दिखा। हुआ यह कि बाजार में छोटे नोटों की किल्लत हो गई। जंक्शन में संगरिया मार्ग स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा, चूना फाटक स्थित भारतीय स्टेट बैंक शाखा, बस स्टैंड के सामने स्थित ओबीसी बैंक, सूरतगढ़ मार्ग स्थित एसबीबीजे बैंक की शाखा के बाहर तो सैंकड़ों की तादाद में लोग कतारों में लगे हुए थे। अन्य बैंकों में भी सुबह के वक्त लोगों की भीड़ को भीतर खड़ा करवाने की जगह नहीं बची और वे बाहर ही खड़े रहे। हाथों में पहचान पत्र और नोट बदलवाने का फार्म थामे लोग 100-50 के छुट्टे नोट लेने के लिए बेकरार नजर आए। ऐसे ही कई जने बंद हुए बड़े नोट बैंक में जमा करवाने के लिए पहुंचे। हर किसी की जुबान पर लगातार तीसरे दिन नोट बंद होने और उससे उत्पन्न परेशानियों की कहानियां पैबस्त थी। वहीं शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की अनेक महिलाओं ने भी कतारों में खड़े होकर नोट बदलवाए। अव्यवस्था के माहौल को देखते हुए जहां बैंक प्रबंधक की ओर से पुराने नोटों को बदलने के लिए अतिरिक्त काउंटर की व्यवस्था की गई और देर शाम तक लगातार यह कार्य किया गया। वहीं दूसरी ओर बैंकों में हड़बड़ाहट में करेंसी बदलवाने अथवा नोट जमा करवाने के लिए पहुंचे लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस की ओर से पुख्ता बंदोबस्त किया गया। बाजार में खरीदारी के दौरान भी लोग बंद किए हुए नोट चलाने का प्रयास करते रहे, लेकिन दुकानदारों ने सुबह ही एक हजार व पांच सौ रुपए का नोट नहीं लेने का दुकानों के बाहर बोर्ड टांग दिए। नोट लेने से इनकार कर दिया। दुकानों व थड़ी-ठेलों पर भी खरीदारी कम हुई। मेडिकल स्टोर पर दवाओं की खरीदारी के दौरान दुकानदारों ने बंद किए नोट नहीं लिए। जिसके चलते रोगियों को भी परेशानी झेलनी पड़ी। बड़े शोरूमों पर सन्नाटा रहा। बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन पर भी यही हाल रहे।




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बंद रहे एटीएम
केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार बुधवार व वीरवार को दो दिन तो एटीएम बंद रहे ही, शुक्रवार को भी तकरीबन सभी बैंक शाखाओं के एटीएम के शटर डाउन रहे। लोगों को नगदी की निकासी में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। एटीएम बंद रहने व बैंकों में भारी भीड़ के कारण लोगों के जरूरी काम अटक गए। इस बारे में शाखा प्रबंधकों से बात की गई तो उन्होंने अपनी-अपनी शाखाओं के एटीएम का शटर उठवा दिया। एटीएम में भी पैसा निकलवाने वालों की भीड़ जमा हो गई।
पुराने नोटों से जमा हुए बिजली बिल
जोधपुर विद्युत वितरण निगम ने जिले में शुक्रवार को पुराने नोट लेकर विद्युत बिल भरने की सुविधा रखी। निगम के अधीक्षण अभियन्ता के निर्देशानुसार शुक्रवार रात 11 बजे तक बिजली उपभोक्ताओं के बकाया बिल भुगतान के लिए 500 व 1000 के नोट स्वीकार किए जाएंगे। निगम के राजेन्द्र सीकर ने बताया कि विद्युत विभाग के काउंटरों पर उपभोक्ताओं के बिजली बिल जमा किए जा रहे हैं। शुक्रवार रात्रि 11 बजे तक उपभोक्ता विद्युत विभाग के काउंटरों पर 500 एवं 1000 के नोट बिजली बिल की राशि के रूप में जमा करा सकते हैं। अभी तक पुराने नोट स्वीकार करने को लेकर असमंजस की स्थिति के चलते कई उपभोक्ता बिजली बिल जमा कराने भी नहीं पहुंच रहे थे या काउंटर पर कार्यरत कर्मचारी भी असमंजस की स्थिति में थे।
बीमारी से ज्यादा बड़े नोट बढ़ा रहे परेशानी
सरकारी आदेश के बावजूद शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल व मेडिकल स्टोर संचालकों ने 500 और 1000 रुपए के नोट स्वीकार नहीं कर रहे, जिससे मरीजों को दवाइयों व जांच के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। अस्पताल के कैश काउंटरों पर खुले पैसों के चक्कर में मरीजों से बड़े नोट नहीं लिए जा रहे। हालांकि यह भी देखा गया कि 10 रुपए की पर्ची के लिए मरीज व परिजन 500 रुपए का नोट थमा रहे थे। निजी लैब संचालकों ने भी बड़े नोट नहीं लिए। ऐसे में डेंगू व चिकनगुनिया जांच के लिए पहुंचे कई मरीज परेशान हुए। कई मरीज बगैर जांच किए ही लौट गए। रक्त, मूत्र सहित अन्य जांचों के लिए भी खुले पैसे नहीं होने से मरीज परेशान रहे। सरकारी अस्पताल में दवाइयां व जांचें क्री होने से कुछ राहत जरूर रही।

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