सिंधु समझौते पर वर्ल्ड बैंक से भारत नाराज

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 11 नवम्बर 2016, 11:41 AM (IST)

नई दिल्ली। सिंधु समझौते के मामले में पाक के दखल के बाद आखिरकार बीच का रास्ता निकालते हुए वर्ल्ड बैंक ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन यानि सीओए बनाई है। हालांकि इस पर भारत ने कड़ा एतराज जताया है। आपको जानकारी दें कि जम्मू-कश्मीर में भारत किशनगंगा और रतले हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट चला रहा है। इस पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताते हुए वर्ल्ड बैंक से शिकायत कर दी थी। इस पर देर रात वर्ल्ड बैंक ने मध्यस्थता के लिए सीओए बनाने का फैसला लिया गया है। साथ ही एक न्यूट्रल एक्सपर्ट बैठाय गया है जो पाकिस्तान की इस शिकायत की जांच करेगा।
वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि हम वर्ल्ड बैंक के फैसले को कानूनन अस्वीकार करार देते हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि सिंधु समझौते के तहत एक मतभेद सुलझाने के लिए दो सिस्टम एक साथ नहीं काम नहीं कर सकते। विकास स्वरूप ने कहा कि वर्ल्ड बैंक के फैसले के पक्षों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस मसले पर और क्या विकल्प हो सकते हैं, उन पर भी चर्चा की जाएगी और भविष्य में सही कदम उठाया जाएगा।आपको जानकारी दें कि सिंधु जल समझौता 1960 में हुआ। इस पर जवाहर लाल नेहरू और अयूब खान ने दस्तखत किए थे। समझौते के तहत छह नदियों-ब्यास,रावी,सतलज,सिंधु,चेनाब और झेलम का पानी भारत और पाकिस्तान को मिलता है। पाकिस्तान आरोप लगाता रहा है कि भारत उसे समझौते की शर्तों से कम पानी देता है। वो दो बार इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में शिकायत भी कर चुका है।



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समझौते के मुताबिक, सतलज, व्यास और रावी का अधिकतर पानी भारत के हिस्से में रखा गया जबकि सिंधु, झेलम और चेनाब का अधिकतर पानी पाकिस्तान के हिस्से में गया।

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