पशुपालन परम्पारगत रूप से हमारे गांव की पहचान:राठौड़

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 10 नवम्बर 2016, 10:20 PM (IST)

जयपुर । केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवद्र्धन सिंह ने कहा है कि पशुपालन परम्पारगत रूप से हमारे गांव की पहचान और उसके विकास की कुंजी है, अगर किसान अपने उपयोग के बाद बचे दूध और अन्य खाद्य उत्पादों को प्रोसेस करें तो बड़े उद्योग की शुरूआत कर सकते हैं जैसे यूरोप में चॉकलेट, चीज अैर पनीर की नामी कम्पनियों की शुरूआत वहां के गांवों से ही हुई है। राठौड़ गुरूवार को ग्लोबल राजस्थान एग्रोटेक मीट में ‘डेयरी एण्ड सस्टेनेबल लाइवलीहुड थू्र एनिमल हसबेंडरी‘ विषयक संगोष्ठी में उपस्थित किसानों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि खेलों के सिलसिले में न्यूजीलैण्ड जाने पर देखकर आश्चर्य हुआ कि वहां की भी उन्नत डेयरी को पूरी तरह भारतीय ही संभाल रहे थे। उन्होने कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं और आज सबसे बड़ी आवश्यकता किसान को उसके उत्पादन की मार्केटिंग की गारण्टी दिए जाने की है। तभी किसान इस व्यापार को व्यापार की तरह लेगा पशुओं के रहन-सहन और उनके पोषण पर पर्याप्त ध्यान देगा। पशुपालन विभाग के सचिव के.एल.मीणा ने कहा कि कृषि के बाद पशुपालन राज्य में रोजगार का दूसरा सबसे बडा सेक्टर है, लेकिन 33 जिलों में से 21 में ही दुग्ध उत्पादक संध हैं और अभी तक 80 प्रतिशत उत्पादन असंगठित क्षेत्र में होने के कारण इस क्षेत्र में काफी काम किया जाना आवश्यक है।
गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लि.(अमूल) के प्रबन्ध निदेशक आर.एस.सोढ़ी ने कहा कि राजस्थान में वे सभी खूबियां मौजूद हैं जो अमूल जैसे ब्राण्ड को विकसित करने के लिए जरूरी हैं। बस इसके लिए राजनीतिक स्थिरता, व्यावसायिक संस्थाओं और उत्पादों की मार्केटिंग में ढांचागत सुधार की दरकार है। राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनरी एण्ड एनिमल साइंसेज के वाइस चांसलर ए.के.गहलोत ने विश्वविद्यालय में पशुपालन से जुड़े अकादमिक, शोध और प्रसार के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ बार्किश वाटर के डॉ.सुबेन्दु कुमार ओट्टा एवं सेन्ट्रल एवियन रिसर्च इन्टीट्यूट के डॉ.चन्द्रहास ने राज्य में मत्स्यपालन की संभावनाओं और लाभ के बारे में किसानों को जानकारी दी।



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