पुराने नोट जमा कराने पर कर माफी नहीं:जेटली

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 09 नवम्बर 2016, 5:02 PM (IST)

नयी दिल्ली। सरकार ने साफ कर दिया है कि बैंकों में पुराने 500 और 1,000 के नोट जमा कराने पर किसी तरह की कर माफी नहीं मिलेगी, इस तरह के धन के स्रोत पर कर कानून लागू होगा। सरकार ने मंगलवार मध्यरात्रि 500 और 1,000 के नोट बंद करने की घोषणा की थी। कालेधन, भ्रष्टाचार तथा जाली नोटों पर लगाम के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि ऊंचे मूल्य के नोटों को बैंक खातों में जमा करा कर ही नए और छोटे मूल्य के नोट हासिल किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से साफ है कि यह कोई माफी योजना नहीं है। इस राशि को जमा कराने पर कराधान से किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी। ऐसे धन के स्रोत पर जरूरी कानून लागू होगा। वित्तमंत्री ने कहा, यदि यह धन कानूनी तौर पर वैध है और इससे पूर्व में बैंक से निकाला गया है या कानूनी तरीके से कमाया गया और बचाया गया है, तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन यदि यह गैरकानूनी पैसा है, तो इसके स्रोत का खुलासा करना होगा। यदि यह अपराध या रिश्वत की कमाई है, तो यह परेशानी की बात है। वित्त मंत्री ने कहा कि गृहणियों तथा किसानों, जिनकी बचत की जरूरत उचित है, उन्हें बैंक खातों में पैसा जमा कराने को लेकर किसी तरह की चिंता नहीं करनी चाहिए।



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वित्तमंत्री जेटली ने कहा कि यदि लोग छोटी राशि मसलन 25,000 रपये, 30,000 या 50,000 रुपये जो घर में खर्च के लिए पड़ा है और उसे जमा कराना चाहते हैं तो, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है, वे बैंकों के पास बेधडक़ जा सकते हैं। जेटली ने कहा कि पहले एक या दो सप्ताह के दौरान इनके स्थान पर बदलने के लिए नए नोटों की कमी हो सकती है, लेकिन दो-तीन सप्ताह में अधिक नोटों की आपूर्ति के बाद इन्हें सामान्य तरीके से बदला जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इस कदम से लेन-देन अधिक से अधिक डिजिटल होगा। लोग अपनी आय का खुलासा करेंगे और कर अदा करेंगे, देश कर अनुपालन वाला समाज बन सकेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि जिन लोगों के पास कालाधन, अपराध या रिश्वत की कमाई है, उन्हें इससे झटका लगेगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला ईमानदारी के लिए फायदे का, बेईमानी के लिए नुकसान का है।

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जेटली ने कहा कि शुरआत में कुछ दिन या कुछ सप्ताह लोगों को असुविधा हो सकती है, लेकिन भारत कालेधन और समानान्तर अर्थव्यवस्था पर हमेशा नहीं चल सकता। उन्होंने कहा कि इस फैसले से अधिक से अधिक लेन-देन कर दायरे में आएगा और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रहण दोनों में इजाफा होगा। समानान्तर अर्थव्यवस्था में कमी से औपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि इस फैसले का कुछ असर राजनीति में भी दिखेगा। कुछ राजनीतिक चंदा अब चेकों के जरिये आना शुरू हुआ है। यदि इस कदम से कुछ सफाई हो पाती है, तो यह काफी शानदार उपाय साबित होगा।

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