यहां पिया मिलन की तड़प में विरहणी गाती है कुरजां

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 29 सितम्बर 2017, 12:12 PM (IST)

जोधपुर। मारवाड़ देश का ऐसा क्षेत्र है जहां के लोकरंग गीतों में भी नजर आ जाते हैं। इस विरह गीत ‘कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिला दीजो ऐ’ में कुरजां के माध्यम से नारी के सात समंदर पार अपने पति को सन्देश पहुंचाने का शानदार चित्रण है। असल मायने में नारी की तो अन्तरात्मा की आवाज ही ये लोकगीत है। इसमे राग-विराग, घृणा-प्रेम, दु:ख की जिन भावनाओं को नारी स्पष्ट नहीं कह पाती, उन्हें उसने लोकगीतों के द्वारा गाकर सुना दिया है। ये ऐसा गीत है जिसमें नारी अपने अन्त:स्थल को खोल कर रख दिया है। इसमें न वह कहीं रुकी, न झिझकी और न ही शर्मायी । विरहिणी ने अपनी विरह वेदना का संदेश कुरुजां पक्षी के माध्यम से प्रियतम को भिजवाना चाहा, जिसमें असीम करुणा और मिलन की ललक समाहित है।

कब जागती है हूक


यह भी पढ़े :दहेज में मिलेंगे 1200 करोड, फिर भी शादी से डर रहे लडके!

[# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

गांव में अकले रहने वाली महिलाएं सावन के महीने में इन गीतों के जरिए ही अपनी विरह वेदना और अकेलेपन का दर्द व्यक्त करती हैं। मारवाड़ क्षेत्र में आज भी इस गीत की तासीर जस की तस है। जानलेवा गर्मी के बाद आने वाले मानसून में बरसने वाली बारिश की बूंदें गर्मी की तपिश से तो निजात दिलाती हैं, लेकिन एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिनके लिए रिमझिम बरसते बादल तपिश और बढ़ा देते हैं। महिलाएं का जिनके पति चार पैसे कमाने के लिए परदेस में रहते हैं, वह लोग साल या दो साल में एक बार ही घर आते हैं, तब गीत के स्वर सुनाई देते हैं। यही वजह है कि बरसात की पहली फुहार से लेकर दीवाली की हल्की ठंडक तक यहां घर-घर से कुरजां के बोल गूंजते हैं।

कहां से आती है कुरजां


यह भी पढ़े :यहां एक साथ उमड़ी 908 दुल्हनें....

यह भी पढ़े :...जब दुल्हन की निकली 5 साल की बेटी और 4 पति

प्रवासी पक्षी डेमोइसेल क्रेन को स्थानीय भाषा में कुरजां कहते हैं। कुरजां अधिकतर बीकानेर संभाग और जोधपुर संभाग के गांवों में तालाबों के किनारे डेरा डालते हैं। ये पक्षी साइबेरिया से ईरान, अफगानिस्तान आदि देशों से होते हुए भारत में प्रतिवर्ष आते हैं। जोधपुर जिले के खींचन और जाजीवाल गांव में इनका डेरा रहता है। इसके अलावा बिराई के बांध के साथ क्षेत्र के खेतों में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है। ये पक्षी मारवाड़ के खेतों में इस समय मूंग और मोठ की फसल का सेवन करते है और फिर तालाब के किनारे ब्रीडिंग करते हंै।

यह भी पढ़े :दुनिया का सबसे बडा परिवार: पति एक,39 पति्नयां...

यह भी पढ़े :उम्र 92 वर्ष, 107 पत्नियां, 185 बच्चे लेकिन एक और शादी....



यह भी पढ़े :उम्र 92 वर्ष, 107 पत्नियां, 185 बच्चे लेकिन एक और शादी....

यह भी पढ़े :ऐसा करने से अगले जन्म में मिलता है भरा-पूरा परिवार