मुलायम के लिए इतने अहम् क्यों हैं अमर सिंह?

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016, 2:27 PM (IST)

लखनऊ। मुलायम से संकटमोचक के तौर पर चर्चित अमर सिंह इन दिनों समाजवादी पार्टी में मचे बवाल के केंद्र में हैं। यह सवाल हर किसी के जहन्नुम हैं कि क्या वजह है कि मुलायम सिंह यादव अमर सिंह के लिए सार्वजिनक तौर पर अपने बेटे अखिलेश यादव को भी फटकार लगा देते हैं? मुलायम सिंह यादव की अमर सिंह से दोस्ती उस दौर की है, जब (1985-88) कांग्रेस के वीर बहादुर सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। अमर सिंह ने औपचारिक तौर पर 1996 में समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्यता ली और मुलायम के चलते राज्यसभा में भी पहुंच गए।
अमर सिंह की मुलायम से करीब 1996 में तीसरे मोर्चे की सरकार के दौरान मुलायम सिंह की उम्मीदें परवान चढऩे लगीं और उन्हें पीएम पद की कुर्सी पास नजर आने लगीं।


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इस दौरान अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी के लिए फंड जुटाने का काम किया। वह सपा और उद्योगपतियों के बीच पुल के तौर पर काम कर रहे थे। यही नहीं, सादगी भरी सैफई की समाजवादी राजनीति में उनके चलते ही बॉलबवुड स्टार्स का जलवा भी दिखा। तीसरे मोर्चे की सरकार में मुलायम सिंह यादव जब रक्षा मंत्री बन गए तो अमर पार्टी में दूसरे नंबर की हैसियत में आ गए। उनके एक फोन कॉल पर तमाम काम हो जाया करते थे।


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अमर सिंह और मुलायम की दोस्ती 2003 में चरम पर पहुंच गई, जब अमर सिंह ने बसपा में टूट पैदा कर दी और सपा ने सरकार बना ली। इस बार अमर सिंह ने अपनी जाति का इस्तेमाल करते हुए मुलायम के पक्ष में विधायकों को लाने का काम किया। बाद में मुलायम सिंह यादव ने यूपी डिवेलपमेंट काउंसिल का गठन किया और अमर सिंह को उसका चेयरमैन बना दिया। इस काउंसिल में कारोबारी अनिल अंबानी, आदि और परमेश्वर गोदरेज, कुमार मंगलम बिड़ला, एलके खेतान और सुब्रत रॉय सहारा जैसी दिग्गज हस्तियां सदस्य थीं। वहीं, अभिनेता अमिताभ बच्चन यूपी के ब्रैंड अंबेसडर बने।
यही नहीं, अमर सिंह ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का लखनऊ दौरा भी सुनिश्चित कराने का काम किया। 2008 में अमर और मुलायम सिंह यादव ने यूपीए सरकार को बचाने के तमाम प्रयास किए, यहां तक कि अमर पर बीजेपी के तीन सांसदों को ‘वोट के बदले नोट’ का ऑफर देने का आरोप भी लगा।

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लेकिन, सपा में अमर सिंह के लगातार बढ़ते कद ने दूसरे बड़े चेहरों के लिए जरूर मुश्किल खड़ी कर दी। अमर सिंह का ही प्रभाव था कि बेनी प्रसाद वर्मा, राज बब्बर और आजम खां पार्टी में एक तरह से किनारे लग गए। बब्बर और आजम को तो अनुशासनहीनता के आरोपों में पार्टी से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। लेकिन 2009 में अमर सिंह का सपा में कद उस वक्त अचानक घट गया, जब फिरोजाबाद सीट से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल को राज बब्बर के मुकाबले हार झेलनी पड़ी। अमर ने ही डिंपल को लड़ाने का सुझाव दिया था। अखिलेश के सीट छोडऩे की वजह से यहां उपचुनाव हुआ था। इसके बाद फरवरी, 2010 में अमर सिंह को पार्टी से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इस साल जब वह छह वर्षों के बाद सपा में लौटे तो एक बार फिर वह पहले जैसी स्थिति को एंजॉय कर रहे हैं। खुद मुलायम सिंह ने उनकी जमकर तारीफ करते हुए कहा है कि अमर सिंह ने ही मुझे जेल जाने से बचाया था, जब आय से अधिक संपत्ति के मामले में बुरी तरह से घिर गया था।

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