दिल्ली। समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच बढ़ता मतभेद
खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने
पार्टी के स्थापना के 15 साल पूरे होने का जश्न लखनऊ में मनाने की घोषणा की
थी, लेकिन पार्टी के तमाम युवा नेता खुले तौर पर इस कार्यक्रम के आयोजन के
विरोध में ना सिर्फ ख़डे हो चुके हैं, बल्कि युवा नेताओं ने बाकायदा
प्रस्ताव पास कर मुखालफत शुरू कर दी है।
युवा नेताओं सुनील सिंह सज्जन, राकेश यादव एमएलसी, अनूप सिंह, मनीष यादव,
अदीनाम चौधरी, संतोष यादव, राम सागर यादव और विजय यादव ने बैठक कर प्रस्ताव
पास किया है कि पार्टी से बर्खास्त युवा नेताओं को वापस लिया जाए और
पार्टी में टिकट बंटवारे का अधिकार सीएम अखिलेश यादव को दिया जाए। जब तक ये
मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक युवा नेता पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में
शिरकत नहीं करेंगे।
समाजवादी पार्टी में यह दूसरा मौका होगा,जब पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव
के फैसले को न सिर्फ नकारा हो, बल्कि खिलाफत का झंडा तक बुलंद किया है।
पहला मौका तब था जब सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को मुलायम सिंह यादव ने
प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाया था। दूसरा मौका अब है जब पार्टी के 25 साल पूरे
होने पर आयोजित कार्यक्रम का दारोमदार सूबे के विवादित मंत्री गायत्री
प्रसाद प्रजापति पर है।
नेताओ का साफ तौर पर कहना है कि जिस ढंग से यह कार्यक्रम किया जा रहा है, उससे पार्टी की साख बढ़ने के बजाय उस पर बट्टा लग रहा है। दूसरी तरफ चुनाव आयोग पहुंचकर रामगोपाल यादव ने तमाम नए कयासों और अफवाहों को जन्म दे दिया है। चुनाव आयोग के साथ घंटे भर चली मीटिंग का असली मकसद क्या था, अभी तक साफ नहीं है, लेकिन दिल्ली से लेकर लखनऊ के गलियारे में यही चर्चा है कि यह मुलाकात नई राजनीतिक पटकथा की शुरूआत जरूर है क्योंकि अखिलेश यादव अपने बयानों से जिस तरह के संकेत दे रहे हैं और यह बताने की कोशिश कर रहे है कि तुरूप का इक्का उनके पास है तो लोग नाहक यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या कोई नई राजनीतिक पार्टी तो उनका तुरूप का इक्का तो नहीं!