प्यास बुझाने वाली झील बनी मनोरंजन का साधन

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 17 अक्टूबर 2016, 6:24 PM (IST)

जैसलमेर । सदियों से जिले की जनता को पीने का पानी उपलब्ध कराने वाली ऐतिहासिक गड़ीसर झील अब दुर्दशा का शिकार हो गई है । इसकी इतना दुर्दशा हो गई कि इंसान हाथ धोना भी पसंद नहीं कर रहा है और पशु इनसे किनारा करने लगे हैं । अब केवल भैंसे ही इस झील के पानी से अपनी गर्मी शांत करती दिखाई दे रही है या फिर इस पानी में गंदी मछलियों से अठखेलियां करते लोग नजर आ रहे हैं । प्यास बुझाने वाली झील अब मनोरंजन का साधन बन गई है । मरुस्थल की धरा पर अमृत स्त्रोत के रुप में स्थापित गड़ीसर झील प्रशासन की उदासीन के कारण अपना मूल अस्तित्व खोती जा रही है। गड़ीसर झील के लिए प्रशासन ना तो कोई विशेष इंतजाम कर रहा है और नहीं इसे सहेजने के प्रयास होते दिख रहे है।



झील पर गंदगी का साम्राज्य-
झील के चारों तरफ गंदगी का साम्राज्य होने से ऐतिहासिक पवित्र झील दूषित हो रही है । झील के पानी में भी गंदगी का साम्राज्य फैल रहा है। जिससे ऐतिहासिक गड़ीसर झील की छवि बेदाग हो रही है। प्रशासन द्वारा गड़ीसर झील के पानी की सफाई के लिए भी कोई खास इंतजाम नहीं किए गए है। जिससे झील की हालत बद से बदतर होती जा रही है।

शराब से भी निर्मल जल मैला हुआ-
ऐतिहासिक और पवित्र गड़ीसर झील में प्लास्टिक की पॉलीथीन, प्लास्टिक की खाली बोतलें, शराब की खाली बोतलें तैरती नजर आ रही है । सुबह, दोपहर और शाम, हर वक्त इस झील पर शराबियों का जमावड़ा रहता है और वे शराब की खाली के बोतलों के साथ अन्य खाने-पीने की वस्तुओं का कचरा इस झील में डालते नजर आते हैं ।

कैट फिश से गन्दा हुआ पानी-
गड़ीसर झील में कैट फिश की बहुतायत से पानी निरन्तर गन्दा हो रहा है । पब्लिक और सैलानी अपने मनोरंजन के लिए कैश फिश को खिलाने रोजाना सैकड़ों ब्रेड पानी में डाली जा रही है जिससे भी पानी गन्दा हो रहा है ।

पशुओं के जमावड़े से मैला हो रहा है निर्मल जल-
ऐतिहासिक गड़ीसर झील पर पर उचित प्रशासनिक व किसी अन्य एजेंसी के माध्यम से रखवाली नहीं होने से झील के पानी में पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है । भैंसे दिन भर पानी में बैठी रहने से भी पानी गन्दा हो रहा है । इंसानों के मलमूत्र के साथ पशुओं को मलमूत्र भी पानी को हाथ धोने लायक भी नहीं रखा ।


कैचमेन्ट ऐरिया में अतिक्रमण से आ रही गंदगी-
कैचमेन्ट ऐरिया में अतिक्रमण होने से भी पानी आवक के साथ गंदगी आ रही है । कैचमेन्ट ऐरिया में कई मकान और बस्तियां बन गई हैं । उन सबकी गंदगी का बहाव झील में हो रहा है । जब भी बारिश से पानी की आवक होती है यह गंदगी इस झील में बह आती है ।
नहाने, कपड़े धोने से दूषित हो रहा है पानी-
गड़ीसर झील में नहाने पर नगरपरिषद की ओर से रोक के बावजूद प्रतिदिन इस झील में नहाने, कपड़े, बर्तन धोने से गंदगी हो रही है जिस ओर प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है । नगर परिषद की ओर से केवल चेतावनी बोर्ड लगा कर इतिश्री कर ली गई है, लेकिन झील पर किसी तरह की चौकीदार अथवा सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था नहीं होने से स्वच्छन्दता स्वच्छता पर हावी हो रही है।
प्रशासन को चिन्ता नहीं -
ऐतिहासिक गड़ीसर झील के दूषित होते जल पर जिला प्रशासन का चिन्ता नहीं है । प्रशासन की ओर से इस झील के संरक्षण का जिम्मा नगरपरिषद को आता है लेकिन नगरपरिषद इस झील को केवल आय का जरिया बना कर छोड़ दिया है । इस झील से होने वाली आय को भी झील के सुधार पर खर्च नहीं की जा रही है ।
सरकार की ओर से झीलों का संरक्षण किया जा रहा है लेकिन शहर की इस ऐतिहासिक झील की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अगर योजनाबद्ध ढंग से इस झील का सही संरक्षण किया जाए तो इससे पेयजल आपूर्ति भी की जा सकती है।

पब्लिक ने कहा -
गड़ीसर झील से पहले पूरे शहर की प्यास बुझती थी । इसका जल जैसलमेर के पुराने मंदिरों की झारी में भरा जाता था। धीरे धीर घरों तक पानी आने के बाद लोगों ने इसकी देखभाल करना छोड़ दिया है। जिससे गड़ीसर अब गंदगी से भर गया है। पुरुषोत्तम माराज-स्थानीय निवासी

पहले गड़ीसर का पानी बहुत उपयोगी होता था। पानी का एकमात्र स्त्रोत होने से लोग भी इसके प्रति खासे चिंतित रहते थे। पानी की पवित्रता को बरकरार रखने के लिए कई प्रकार के जतन करते थे। इसके घाट पर किसी को कपड़े धोने नहीं देते थे। अब इसकी महत्ता कम हो गई। लोग इसमें नहाने शुरु हो गए। इसका पानी हाथ धोने के लिए भी सही नहीं है। भंवरलाल बिस्सा-स्थानीय निवासी