नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक विवाहित जोडे के मामले में पत्नी द्वारा
हनीमून खराब करने और पति एवं उसके परिवार पर झूठे आरोप लगाकर मानसिक
क्रूरता बरपाने को तलाक का आधार बताया है। हाईकोर्ट ने मामले को अपवाद की
संज्ञा देते हुए कहा कि दंपती की शादी शुरू से ही सही नहीं चल सकी। हालांकि
दोनों शादी के समय 30 साल से अधिक उम्र के थे और परिपक्व थे।
हाईकोर्ट ने 12 साल पुराने शादी के बंधन को तोडने की अनुमति देते हुए कहा
कि पति और पत्नी कडवी यादों के साथ आए हैं और उनका हनीमून भी खराब हो गया
था। महिला ने शादी होने का विरोध किया था और बाद में पति और उसके परिवार
वालों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताडित करना शुरू कर
दिया।
जस्टिस प्रदीप नंदराजोग एवं जस्टिस प्रतिभा रानी की खंडपीठ ने अपने फैसले
में ये टिप्पणियां कीं। पीठ ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया जिसने
क्रूरता के आधार पर शादी को तोडने की उसके पति की याचिका को स्वीकार करने
के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने इस बात को संज्ञान
में लिया कि जनवरी 2004 में शादी हुई और महिला ने अप्रैल 2004 में अपनी
ससुराल छोड दिया था और बाद में उसने अपने पति और उसके परिजनों के खिलाफ
मामला दर्ज कराया।
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि प्रतिवादी पति यह साबित करने में सफल रहा कि
उनके हनीमून के दौरान पत्नी ने न केवल शादी होने का विरोध किया, बल्कि बाद
में उसके और उसके पूरे परिवार के खिलाफ शमिंदा करने वाले और अपमानजनक आरोप
लगाए। पीठ ने कहा कि महिला का आचरण इस तरह का है कि पुरूष के लिए इस तरह
की क्रूरता सह पाना मुमकिन नहीं था।