आज भी कायम है पारम्परिक गरबा गायन

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 10 अक्टूबर 2016, 8:49 PM (IST)

प्रतापगढ़। आधुनिकता के इस दौर में हर कोई डीजे की धुन पर थिरक रहा है। प्रदेश के लगभग सभी शहरों में डीजे पर हो रहे गरबों के दौरान लोग थिरकते दिख जाएंगे। लेकिन आज पुरानी परंपरा को देख पाना मुश्किल है। लोग पुरानी परंपराओं को भूलकर रीमिक्स गरबे की धून पर थिरकना पसंद करते हैं। लेकिन आधुनिकता के इस दौर में आज भी कई इलाकों में पारंपरिक गरबा गायन की परंपरा कायम है। ऐसा ही देखा गया प्रतापगढ़ में। जहां भाटपुरा, धोबी चौक, मोची गली, समता चौक, इंद्रा कॉलोनी और मानपुरा सहित कई जगह बरसों से चली आ रही परम्परा को निभाया जा रहा है।

प्रतापगढ़ में हो रहे पारंपरिक गरबों के दौरान पंचमी की गरबी, अष्ठमी की गरबी, नवमी नो दिन, रावण की राड, पांडव कौरवों का युद्ध, भैरू जी की गरबी, ऋषि मुनियों की तपस्या भंग करने सहित कई पौराणिक गरबियों का गायन किया जा रहा है। गरबा गायकों के अनुसार नवरात्रि के हर दिन की अलग गरबी होती है।

शहर के भाटपुरा और धोबी चौक में रोजाना गरबियों के साथ जीवंत झांकियां भी सजाई जा रही है। जिसमें गरबा गायन के साथ नाटक मंचन भी किया जाता है। जिसको देखने के लिए भारी तादाद में लोग उमड़ते है। पंचगी से शुरू हुई झांकियां लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। इसमें आज जहां मां नव दुर्गा के नौ रूपों की झांकी सजाई गई। तो अब मंगलवार को दशहरे के दिन राम और रावण के युद्ध की झांकी एवं एकादशी के दिन भगवान कृष्ण की बाल रूप की झांकी सजाई जाएगी।