भावनात्मक सहारा नहीं मिल पाने के कारण बढ़ रहे मानसिक रोगी

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 10 अक्टूबर 2016, 7:57 PM (IST)

झांसी। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी के सभाकक्ष में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ विनोद कुमार यादव डॉ रमेश चन्द्र द्वारा की गयी। इस बैठक में डॉ ज्ञानेन्द्र कुमार विभागाध्यक्ष मानसिक रोग विभाग मेडिकल कॉलेज झाँसी, डॉ आरएस वर्मा डॉ एके त्रिपाठी, डॉ एनके जैन, डॉ नीति शास्त्री, डॉ संध्या चौहान आदि उपस्थित रहे। मनोचिकित्सक डॉ ज्ञानेन्द्र कुमार ने बताया कि आज व्यक्ति की अपेक्षाऐं काफी बढ़ गयी है। सन्तुष्टि का स्तर कम होने तथा नई-नई इच्छायें जागने से और भावनात्मक सहारा न मिल पाने के कारण समाज में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। मानसिक रोगी को झाड़-फूंक आदि अन्धविश्वास के कारण चिकित्सकीय उपचार नहीं कराया जाता है जिससे उसका रोग बढ़ता जाता है। साथ ही मनोचिकित्सकों व मनोवैज्ञानिकों की भारी कमी के कारण सम्पूर्ण जनसंख्या को मानसिक बीमारियों से निजात मिलने में कठिनाई हो रही है।

डॉ एनके जैन ने बताया कि विश्व में 23 प्रतिशत व 17 प्रतिशत पुरूष मानसिक बीमारियों से ग्रसित है। व्यवहार में परिवर्तन, चिड़चिड़ापन, गुमसुम या उदास रहना नकारात्मक विचार आदि को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों को तत्काल पहचान करते हुये चिकित्सीय सेवायें प्रदान करनी चाहिये। डॉ नीति शास्त्री ने कहा कि पूर्व के समाज में संयुक्त परिवार में मानसिक सहयोग, विपति में आत्मविश्वास, एक दूसरे को भावनात्मक सहारा दिया जाता था परन्तु एकांकी परिवारों में पति-पत्नी के पास समयाभाव व बच्चों को पूरा समय न देने के कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि वर्तमान भागदौड़ की जीवन शैली में भावनात्मक सहारा, व्यक्तिगत रूचि अथवा हॉबी को पूरा कर, क्रियाशील जीवन एवं सकारात्मक सोच द्वारा व्यक्ति मानसिक रूप से सक्षम बन सकता है एवं तनावपूर्ण माहौल में भी पूर्ण स्वस्थता के साथ समाज व परिवार में अच्छा जीवन व्यतीत कर सकता है।