कोलकाता। हाल ही में बेल्जियम ओपन खिताब जीतने वाले पहले भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी बने जी. सथियन ने देश में खेलों को लेकर अव्यवस्था पर निराशा जताई है। चेन्नई के रहने वाले सथियन ने पिछले माह हुए बेल्जियम ओपन में एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन-तीन ऊंची रैंक वाले खिलाडिय़ों को मात देते हुए खिताबी जीत हासिल की।
जर्मनी से फोन पर आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में सथियन ने कहा कि भारत में खेल को लेकर एक व्यवस्थित प्रणाली की बेहद कमी है। चेन्नई में मैं जर्मनी जैसी सुविधाएं चाह रहा हूं। मुझे रमन सुब्रमण्यम जैसे कोच मिले। तीन साल तक उन्होंने निजी तौर पर मुझे प्रशिक्षण दिया और अब जाकर इस साल उनकी अकादमी बनी है।
सथियन ने कहा कि भारत में आपके पास प्रशिक्षण के लिए कोई केंद्र नहीं है।
जैसे मैं और सौम्याजीत घोष अलग-अलग प्रशिक्षण लेते हैं। जर्मनी में आपके
पास सैकड़ों केंद्र हैं। गोस्पोट्र्स फाउंडेशन की ओर से चलाए जा रहे राहुल
द्रविड़ एथलीट मेंटरशिप कार्यक्रम के तहत लाभान्वित 19 खिलाडिय़ों में सथियन
भी शामिल हैं। विश्व के 113वीं वरीयता प्राप्त सथियन 2012 के बाद
अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस महासंघ (आईटीटीएफ) की प्रतियोगिता में खिताब
जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। इससे पहले 2012 में अचंत शरत कमल ने
बेल्जियम ओपन खिताब जीता था।
सथियन ने कहा कि भारत में होने वाली किसी
टूर्नामेंट में कोई विदेशी खिलाड़ी नहीं आ रहा। हमें ऐसे खिलाडिय़ों के
खिलाफ खेलने की जरूरत है, जिनसे हमें दमदार चुनौती मिले। ऐसे लीग
टूर्नामेंट कराए जाने की जरूरत है, जो साल भर चलें। जर्मनी में 10 से 20
ऐसे खिलाड़ी हैं, जो मुझसे बेहतर हैं। भारत के 24 वर्षीय टेबल टेनिस
खिलाड़ी सथियन ने पिछले कुछ साल में बैडमिंटन में हुई प्रगति की सराहना की।
सथियन ने कहा कि आपके पास 365 दिन एक कोच, एक फीजियो और एक प्रशिक्षक का
होना जरूरी है। बैडमिंटन में ऐसा हो रहा है। उनके पास सुविधाओं से परिपूर्ण
प्रशिक्षण केंद्र है। अगर हर खेल के पास इस प्रकार का माहौल हो, तो
निश्चित तौर पर ओलम्पिक पदक जीतना संभव हो सकता है।
ओलम्पिक पदक
विजेताओं पर पुरस्कारों की बौछार होना भारत में आम बात है। रियो ओलम्पिक
में रजत पदक जीतने वाली महिला बैडमिटन खिलाड़ी पी. वी. सिंधु और कांस्य पदक
विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक पर नकद ईनाम लुटाए गए, हालांकि सथियन को
यह सब निरर्थक लगता है। उनका कहना है कि ओलम्पिक के बाद एथलीटों पर बरसाए
जाने वाले धन का कोई उपयोग नहीं है।
भारत के अलावा कोई भी देश ऐसा नहीं
करता। सथियन ने कहा कि इसके बजाय अधिक महत्व प्रशिक्षण को दिया जाना चाहिए।
यह अच्छा है कि भारतीय टेबल टेनिस महासंघ खिलाडिय़ों को विदेशी दौरों पर
भेज रहा है। अब हमारे पास अगली प्रतियोगिता से पहले प्रशिक्षण सत्र के लिए
दो सप्ताह का समय है।
सथियन ने बताया कि ओलम्पिक से मात्र छह महीने पहले
टेबल टेनिस खिलाडिय़ों को कोच दिया गया। इस तरह काम नहीं चलता। आप खेलते
हैं, तो या तो जीतते हैं या हारते हैं। लेकिन इसकी जगह आपके पास चौबीसों
घंटे 12 महीने के लिए एक व्यवस्थित प्रणाली होनी चाहिए। सथियन को गुवाहाटी
में हुए क्वालिफायर टूर्नामेंट में हिस्सा न लेने के कारण रियो ओलम्पिक का
टिकट नहीं मिला था।
ओलम्पिक खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले चार
भारतीय एथलीटों के साथ शामिल न होने पर दुख जताते हुए सथियन ने कहा कि
निश्चित तौर पर ओलम्पिक इस बेल्जियम ओपन टूर्नामेंट से कहीं बड़ी
प्रतियोगिता है। गुवाहाटी में हुए टूर्नामेंट में शामिल न होकर मैंने बड़ा
नुकसान उठाया।
सथियन की इस निराशा पर उनके कोच और अर्जुन पुरस्कार से
सम्मानित हो चुके एस. रमन ने कहा कि वे अभी 24 साल के हैं और उनके पास
भविष्य में कई अवसर आएंगे। सथियन का भी मानना है कि उनके पास दो और ओलम्पिक
खेलों में हिस्सा लेने का मौका है और उनके लिए अभी दुनिया खत्म नहीं हुई
है।
(IANS)