अभी नहीं हुआ लोकार्पण,कभी भी धराशायी हो सकता है ओवरब्रिज

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 10 अक्टूबर 2016, 4:38 PM (IST)

आजमगढ़। दो साल पहले बनकर तैयार हुए शहर के बेलइसा रेलवे क्रासिंग पर बने ओवरब्रिज का लोकार्पण अभी तक नहीं हो सका है। इसके विपरीत यह ओवरब्रिज अभी से पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। जर्जर हो चुका यह ओवरब्रिज कभी भी धराशायी हो सकता है।
बेलइसा रेलवे क्रासिंग पर है कुछ इसी तरह की स्थिति
बेलइसा रेलवे क्रासिंग से होकर ही वाराणसी, इलाहाबाद वाया सुल्तानपुर लखनऊ के लिए जाया जाता था। ऐसी स्थिति में जब कोई ट्रेन आती थी और गेट बन्द हो जाता था तो वाहनों की लम्बी कतार लग जाती थी। लोग घंटों जाम से जूझते रहते थे। इस समस्या से निजात पाने के लिए यहां के लोगों ने लम्बा संघर्ष किया। इसी का नतीजा रहा कि धन स्वीकृत हुआ और शिलान्यास के साथ वर्ष 2009 में निर्माण कार्य शुरु भी हो गया। बाद में तमाम अड़चनें आयी। काफी समय तक के ओवरब्रिज के नीचे स्थित शहर के प्रतिष्ठित चिल्ड्रेन कालेज के प्रबन्धक बजरंग त्रिपाठी कोर्ट चले गये तो कभी बाईपास रोड न बनवाये जाने के कारण निर्माण कार्य रुका रहा।

काफी दिनों तक तो रेलवे लाइन के दोनों तरफ बनने वाले पिलर व अन्य खर्चों का वहन करने के लिए रेल प्रशासन तैयार नहीं था। काफी लिखा-पढ़ी के बाद बात बनी और रेल प्रशासन ने अपना अंशदान किया। फिलहाल वर्ष 2014 में यह ओवरब्रिज बनकर पूरी तरह से तैयार हो गया। ब्रिज बनने के बाद बगैर किसी जनप्रतिनिधि का इन्तजार किये जनता ने ही इसका लोकार्पण कर दिया और आवाजाही शुरु हो गया। इसका औपचारिक लोकार्पण आज तक नहीं हो सका है। इसके विपरीत स्थिति यह कि ओवरब्रिज पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गये हैं। जहां-जहां ज्वाइंटर बने हैं, वह पूरी तरह से उखड़ गये हैं। ज्वाइंटरों पर निकली लोहे की पट्टियां खतरे को आमंत्रण देती ही रहती हैं। ऐसे में लोग खुद बाहर निकली लोहे की पट्टियों को निकालकर फेंक देते हैं।

सब मिलाकर मानक के विपरीत बना यह बेलइसा ओवरब्रिज कभी भी धराशायी हो सकता है और जन-धन की भीषण क्षति हो सकती है। एक बड़ा दुर्भाग्य यह भी कि इस ओवरब्रिज की चौड़ाई काफी कम है। ऐसे में जाम से निजात पाने की जिस सोच के साथ इसके निर्माण की मांग उठी थी उस समस्या का पूरी तरह से समाधान अभी तक नहीं हो सका है। ब्रिज के दोनों तरफ पैदल यात्रियों के चलने के लिए पटरी भी नहीं बनायी गयी है। जिसके कारण इस संकरे पुल पर पैदल चलने वालों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।