बुढ़िया माई के पास मन्नत होती है पूरी

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 10 अक्टूबर 2016, 11:07 AM (IST)

गोरखपुर शहर से 15 कि‍मी दूर कुसुमी जंगल है। कुसुमी जंगल में बुढ़िया माई का पुराना मंदिर है।दोनों नवरात्र में लाखों लोगों भीड़ होती है। वैसे सालभर यहाँ पूजा अर्चना होती रहती है। लोगों का कहना है कि पहले यहां थारु जनजाति के लोग रहते थे। वे जंगल में तीन पिंड बनाकर वनदेवी के रूप में पूजा करते थे। थारु जनजाति के लोगों को अक्सर इस पिंड के आसपास सफेद कपड़े में एक बूढ़ी महिला दिखाई देती थी।

वहीं कुछ लोगों का कहना है कि पहले यहां थारू जाति के लोग निवास करते थे। वे जंगल में तीन पिंड बनाकर वनदेवी के रूप में पूजा करते थे। थारुओं को अक्सर इस पिंड के आस-पास सफेद वेश में एक वृद्ध (बूढ़ी महिला) दिखाई दिया करती थी। कुछ ही पल में वह आंखों से ओझल भी हो जाती थी।कुसुमी जंगल में कोई भी भक्त बुढ़िया माई के मंदिर में जाकर अपनी मन्नत मांग ले और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करे तो माई के आसपास होने का एहसास होता है और मन्नत पूरा होने का वरदान देती हैं।

 वहीं कुछ लोगों का कहना है कि पहले यहां थारू जाति के लोग निवास करते थे। वे जंगल में तीन पिंड बनाकर वनदेवी के रूप में पूजा करते थे। थारुओं को अक्सर इस पिंड के आस-पास सफेद वेश में एक वृद्ध (बूढ़ी महिला) दिखाई दिया करती थी। कुछ ही पल में वह आंखों से ओझल भी हो जाती थी।कुसुमी जंगल में कोई भी भक्त बुढ़िया माई के मंदिर में जाकर अपनी मन्नत मांग ले और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करे तो माई के आसपास होने का एहसास होता है और मन्नत पूरा होने का वरदान देती हैं