विद्यालयों के लगातार बंद होने से बच्चे और अभिभावक परेशान हैं।
खासकर 10 प्लस 2 में पढऩे वाले बच्चे और उनके अभिभावक क्योंकि इनकी अंतिम
परीक्षा अक्टूबर-नवंबर में होनी होती है।
श्रीनगर के एक स्कूल में
पढऩे वाले बच्चे के पिता ने आईएएनएस से कहा, ‘‘10 प्लस 2 के प्रदर्शन के
आधार पर बच्चे प्रोफेशनल कोर्स की विभिन्न परीक्षाओं में बैठते हैं। यह
परीक्षाएं पूरे देश में तयशुदा कार्यक्रम के तहत होती हैं। मेरे बेटे की
वजह से यह कार्यक्रम तो बदलने वाला नहीं है।’’
अलगाववादी अपने
विरोध प्रदर्शन से स्कूल को अलग करने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है
कि अशांति के इस दौर में स्कूलों को खोलना बच्चों की जान को खतरे में डालना
है। लेकिन, उनका कहना है कि विद्यालयों में आग लगाने की घटनाओं से उनका
कोई वास्ता नहीं है।
वरिष्ठ अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने कहा कि स्कूलों में आग लगाने वाले कश्मीर की जनता के दुश्मन हैं।
राज्य
सरकार ने कहा है कि स्कूल खुलें या न खुलें, वह नवम्बर के अंत तक सभी
कक्षाओं की परीक्षा हर हाल में कराएगी। इन परीक्षाओं को अगले साल मार्च तक
टालने की बच्चों और अभिभावकों की मांग को अनसुना कर दिया गया है।(आईएएनएस)
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