नई दिल्ली। रियो ओलम्पिक में कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक का मानना है कि उनके करियर को संवारने में प्रो-रेसलिंग लीग (पीडब्ल्यूएल) की अहम भूमिका रही है। हालांकि, उनका मानना है कि लीग के शुरू होने से पहले हर टीम अपना कोचिंग कैम्प लगाए, जिससे खासकर भारतीय खिलाडिय़ों को ओलिम्पिक पदक विजेताओं से सीखने को मिला।
रियो ओलम्पिक में इस लीग के अनुभव की बदौलत वह देश के लिए कांस्य पदक जीतने में कामयाब रहीं। साक्षी ने कहा कि इस लीग में हमें ओलम्पिक और विश्व चैम्पियनशिप के पदक विजेताओं के साथ मुकाबला करने का अवसर मिला, जिसके जरिए हमने अपने खेल स्तर में सुधार किया। सीजन-1 में हमारी मुम्बई गरुड़ टीम की सदस्य एडलाइन ग्रे से भी हमें काफी कुछ सीखने को मिला। इनकी देखादेखी हम भी खुलकर प्रदर्शन करने लगे। हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों के साथ मुकाबला करना सीखा।
रियो ओलम्पिक में एक समय पर पिछडऩे के बाद शानदार वापसी के लिए साक्षी ने स्वयं और कोच की कड़ी मेहनत को श्रेय दिया। यह उनकी 12 साल की कड़ी मेहनत का नतीजा था लेकिन फिर भी वह इस दिशा में काम कर रही हैं और अपने मुकाबले की शुरूआत पर खास ध्यान दे रही हैं। उनके कोच भी इस पर काम कर रहे हैं।
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