नेरचौक(मंडी)। बल्ह घाटी के मैरामसीत के भगत राम आयु में 90 वर्ष के होने के बाद भी लोगों की आंखों से कचरा निकालने की कला को बखूबी निभा रहे हैं। भगत राम ने का कहना है कि उन्होंने आजादी के बाद अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए लोगों के पास घास काटने का काम किया, तो एक दिन घास काटते-काटते उनकी आंख में घास का तिनका चला गया। आंख से घास का तिनका निकालने के लिए वह अपनी बुआ के पास गए जिनको इस काम में महारत हासिल थी। जब बुआ के पास गया तो उसने एक पल में ही सिलाई की सुई से आंख से कचरा (कख) निकाल दिया। [@ अमेरिका के 911 की तर्ज पर बना डायल 100 कैसे काम करेगा...जानिए इसकी टेक्नोलॉजी]
भगत राम अपनी बुआ के इस हुनर से बहुत प्रभावित हुए और सिखने के लिए बुआ से जिदृ की। बुआ ने ने हर बात बताई और भगत राम ने भी हर तथ्य कों ध्यान लगाकर सुना। इसी दौरान भगत राम अपने घास काटने के सिलसिले से शिमला गया। तो वहां पर एक महिला की आंखों में घास का तिनका घुस गया। तो भगत राम ने बुआ के बताए अनुसार महिला की आंख से कचरा निकाल दिया। वह दिन और आज का दिन उनके लिए आंख से कचरा निकालना आम बात हो गई। उन्होंने अपनी युवावस्था में प्रदेश सहित पड़ोसी प्रदेशों में जाकर भी लोगों की आंखों से कचरा निकाला है। जहां चिकित्सक भी सफल नहीं हो पाते थे उनका भी आंख का तिनका भगत राम निकाल स्वस्थ कर देते थे। उनका कहना है कि हालांकि मौजूदा समय में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हो चुके हैं जिसके चलते अधिकतर लोग अस्पतालों में जाना बेहतर समझते हैं लेकिन फिर भी हर रोज चार से पांच व्यक्ति उनसे आंख का कचरा निकालने आ जाते हैं।
आंख से कचरा निकालने में उनही उम्र व वृद्धावस्था भी रोड़ा नहीं बन पाती है। 90 वर्ष की उम्र में वह बडी ही सफाई से किसी को दर्द किए बिना आंखों से कचरा निकाल देते हैं और उनकी अपनी आंखों की रोशनी भी बिलकुल सही है। भगत राम अपने सभी कार्यों को स्वयं करते हैं। उनका कहना है कि मेरी इतनी उम्र में आंखों का सही रहना सात्विक आहार व शायद भगवान की देने है कि दूसरों की आंखों को सही करता रहुं। उनकी पत्नि का देहांत होने के पश्चात अपने तीन बेटों व चार बेटीयों का परिवार आज खुशी से अपना जीवन यापन कर रहा है।
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